जशपुर: बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए सरकार तरह-तरह की योजना चलाने के दावे कर रही है, लेकिन इन दावों में सरकार कहा तक सफल है यह तो बगीचा आंगनबाड़ी केंद्र के पीछे पड़े अमृत दूध के पैकेट को देखकर पता चल रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री अमृत दूध योजना का बुरा हाल है.
मुख्यमंत्री अमृत दूध योजना का बुरा हाल, बच्चों को नहीं मिल रहा दूध
बगीचा के झांपिदरहा आंगनबाड़ी केंद्र के पीछे अमृत दूध के दस पैकेट पड़े मिले हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि 'दूध को एक्सपायरी होने की वजह से फेंका गया है. वहीं स्थानीय लोगों ने बच्चों को दूध नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है'.
बगीचा के झांपिदरहा आंगनबाड़ी केंद्र के पीछे अमृत दूध के दस पैकेट फेंके हुए मिले हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि 'दूध को एक्सपायरी होने की वजह से फेंका गया है. वहीं स्थानीय लोगों ने बच्चों को दूध नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है. दूध के पैकेट मिलने के बाद से स्थानीय लोगों में नाराजगी है'.
कैमरे से बचते रहे महिला एवं बाल विकास अधिकारी
लोगों का कहना है कि 'भले ही ये उस दूध को कचरे में फेंक दिया जाए पर उसे आंगनबाड़ी के बच्चों को पीने नहीं दिया जा रहा है, जो सरासर गलत है. वहीं इस मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी अजय शर्मा ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया'.