जांजगीर-चांपा : अकलतरा इलाके से एक और बड़े उद्योग के छिनने का खतरा मंडरा रहा है. सरकारी सीमेंट प्लांट बंद होने के बाद अब KSK पावर प्लांट के अस्तित्व पर गहरा संकट मंडरा रहा है. मजदूर जहां एक ओर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं प्लांट की हालत खस्ता है. वहां प्लांट को बचाने के लिए शासन-प्रशासन क्या कर रहा है, इस बारे में यहां रहने वाले लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल रही है.
केएसके पावर प्लांट की चिंता को लेकर मजदूर कर रहे आंदोलन 3600 मेगावॉट बिजली उत्पादन की परियोजना वाला KSK महानदी पावर प्लांट पिछले पांच साल से मजदूरों से टकराव की समस्या झेल रहा है, यही कारण है कि आज प्लांट की हालत खस्ता हो गई है. फिलहाल KSK महानदी पावर प्लांट कंपनी का कर्ज नान परफॉर्मिंग एसेट (NPA) की श्रेणी में आने के बाद, यह रिजर्व बैंक के अंडरटेकिंग में है.
रिजर्व बैंक अगर प्लांट को किसी दूसरी कंपनी को बेचता भी है तो प्लांट को चालू हालत में रखना आवश्यक है, लेकिन ऐसे समय में प्लांट के मजदूर स्ट्राइक पर हैं, इस स्थिति में शासन, प्रशासन और प्लांट प्रबंधन को वक्त के हिसाब से काम करना होगा, नहीं तो स्थानीय रोजगार को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह पहली बार नहीं है, जब किसी प्लांट को स्थानीय समस्या के कारण तालाबंदी का शिकार होना पड़ा है. इससे पहले KSK पावर प्लांट के पास मौजूद निजी सीमेंट प्लांट भी बंद हो गया था, जिसकी कीमत लोगों को आज भी चुकानी पड़ रही है.
पुरानी स्थिति को दोहराता देख स्थानीय नेता चिंतित नजर आ रहे हैं, जबकि श्रम मंत्री शिव कुमार डहरिया का कहना है कि 'प्लांट के अंदर गुंडागर्दी नहीं चलेगी, इस पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी'. वहीं इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है कि, जेल में बंद आंदोलनकारी मजदूरों को सोमवार से रिहा करना शुरू कर दिया जाएगा और प्लांट के साथ मजदूरों के हित को लेकर पूरी गंभीरता से ठोस कदम उठाया जाएगा. इस मामले में स्थानीय नेताओं का साफ कहना है कि 'पावर प्लांट के अस्तित्व को बचाने के लिए हर संभव कोशिश होनी चाहिए'.
इस पूरे मामले में आगे की स्थिति को लेकर हर स्तर पर सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि पावर प्लांट में हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है. अगर प्लांट का अस्तित्व खतरे में पड़ेगा तो स्थानीय रोजगार भी खत्म होगा.