जांजगीर-चाम्पा : प्रधानमंत्री आवास से मिलने वाले मकान के लिए लोगों भटकते देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना कि जिनके नाम पर मकान की मंजूरी दी गई हो, वही गुमनाम हो गया है. जांजगीर नैला में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है.
81 मकान हितग्राही के बिना गुमनाम अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये मामला क्या है, तो हम आपको बता दें कि जिला मुख्यालय में पीएम आवास बनाने के लिए 81 ऐसे हितग्राहियों को मंजूरी दी गई है, जिन्हे ढूंढते-ढूंढते नगरपालिका के मैदानी अमले के पसीने छूट रहे हैं. ऐसे में मंजूरी मिलने के बाद भी इन मकानों का निर्माण अटका हुआ है. वहीं दूसरी ओर जरूरतमंद अब भी पीएम आवास के लिए भटक रहे हैं.
तकनीकी गलतियां बता कर किया गलत अटैचमेंट
जब इस मामले में ETV भारत ने नगर पंचायत सीएमओ से बातचीत की तो उन्होंने खुद की गलती बताने के बजाए इसे तकनीकी गलतियां बता कर गलत अटैचमेंट का नाम दे दिया. वहीं 81 लोगों के फर्जी नाम मिलने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, माना जा रहा है कि पीएम आवास में बड़ी धांधली की कोशिश असफल हो गई है. जबकि आगे की जांच में ही वास्तविक स्थिति का खुलासा हो पायेगा.
क्या है मामला
बता दें कि जिला मुख्यालय जांजगीर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने का काम कछुआ गति से चल रहा है, जबकि योजना की शुरुआत हुए 2 साल से ज्यादा हो गए हैं. अब तक केवल 126 मकान ही बन पाए हैं 140 अब भी निर्माणाधीन है. जबकि शासन की ओर से 738 हितग्राहियों के नाम पीएम आवास बनाने की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके बाद भी 472 मकानों की नींव तक नहीं रखी जा सकी है. इनमें से 81 मकानों का निर्माण गतल अटैचमेंट की वजह से रुका हुआ है. वहीं 391 आवास शुरू नही होने के पीछे नामांतरण, बंटवारा 1984 का पट्टा नवीनीकरण नहीं होना बताया जा रहा है.