जांजगीर-चांपा: बारगांव और उसके आसपास बड़ी संख्या में नट समाज के लोग रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. बारगांव में 3 लाख रुपये की राशि खर्च कर सांस्कृतिक मंच नट तैयार किया गया था, लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है. करीब 500 नट समाज के लोग बेरोजगार हैं. हालांकि कई लोगों पेट पालने के लिए आय का जरिया भी बदल लिया है.
जिले के विभिन्न गांव में बसने वाले नट समाज दूसरे प्रदेशों में जाकर खेल तमाशा दिखाकर अपना भरण-पोषण करते हैं, लेकिन आज लॉकडाउन की स्थिति में पिछले चार-पांच महीनों से यह समाज बेरोजगारी से जूझ रहा है. मुसीबतों का पहाड़ झेल रहा समाज आज दाने-दाने को मोहताज है. बच्चे से लेकर बूढ़े तक भूखे मरने की स्थिति है. क्योंकि न तो उनके पास राशन कार्ड है, न ही मनरेगा रोजगार सूची में उनका नाम है. इस स्थिति में नट समाज के लिए जीवन यापन करना मुसीबत से कम नहीं है.
दुकान खोलकर सामान बेचने को मजबूर
ETV भारत ने जब नट समाज से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वे पिछले चार-पांच महीनों से बेरोजगारी झेल रहे हैं और लॉकडाउन की स्थिति में वह कहीं भी नहीं जा पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें भीख मांगकर गुजारा करना पड़ रहा है, जबकि दूसरे प्रदेशों में जाकर खेल तमाशा दिखाने में उन्हें काफी कमाई हो जाती थी. वहीं उनका ये भी कहना था कि कभी ये शहरों में बसते थे, अपने करतब से लोगों का मनोरंजन करते थे. अब ये दुकान खोलकर सामान बेचने को मजबूर हैं. सरकस का काम करते थे अब दुकान डालकर घर चला रहे हैं. उससे भी पेट पालना मुश्किल हो रहा है.
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