छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

EXCLUSIVE: न क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह, न घरों में शरण...प्रवासी मजदूर जाएं तो कहां जाएं ?

कोरोना वायरस का खतरा प्रवासी मजदूरों पर कहर बनकर टूटा है. प्रवासी मजदूरों को न क्वॉरेंटाइन सेंटरों में जगह मिल रही है और न ही उनको गांव वाले गांव में जाने दे रहे हैं, जिससे मजदूर दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.

By

Published : Jun 14, 2020, 9:30 AM IST

migrant-laborers-forced-to-wander-due-to-lack-of-space-in-quarantine-center-in-janjgir
क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को नहीं मिली जगह

जांजगीर-चांपा: लॉकडाउन के बाद जिले में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. हर रोज शहर में प्रवासी मजदूर सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे हैं, लेकिन अब प्रवासी मजदूरों के लिए घर आना भी किसी सजा से कम नहीं है. गांवों में बने क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लोगों को रखने की जगह ही नहीं बची है, जिससे प्रवासी मजदूर दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. मजदूर अपने गांवों में जा रहे हैं, तो वहां भी आने नहीं दिया रहा है, जिससे अब मजदूर गली-गली भटक रहे हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को नहीं मिली जगह

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटरों में जगह ही नहीं बची है. अपने गांव जाने पर गांववालों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मजदूर रात में दर-दर भटकने को मजबूर हैं. प्रशासन की बात करें, तो प्रशासन भी अब लोगों को होम क्वॉरेंटाइन का ही विकल्प बता रहा है, लेकिन प्रवासी मजदूरों को न क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह मिल रही है और न ही वह अपने घर जा पा रहे हैं, जिससे वह अब सड़कों पर रहने को मजबूर हैं.

दो हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों का आना-जाना

जांजगीर चांपा में प्रवासी मजदूर असहाय दर्द लेकर अपने घरों के लिए निकल पड़ें हैं. रोज दो हजार से अधिक प्रवासी मजदूर जिले में वापस लौट रहे हैं. अकेले पामगढ़ ब्लॉक में एक हजार से अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौट चुके हैं, वहीं अभी और मजदूर वापस आ रहे हैं. पहले से ही क्वॉरेंटाइन सेंटरों में जगह की कमी है. अब पामगढ़ ब्लॉक के लिए लोगों को क्वॉरेंटाइन करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.

98 क्वॉरेंटाइन सेंटरों में नहीं बची जगह

जिला प्रशासन के मुताबिक जिले में 98 क्वॉरेंटाइन सेंटर हैं, जो पहले से ही फुल हैं. जगह नहीं होने के कारण लोगों को दूसरे ब्लॉक में क्वॉरेंटाइन किया जा रहा था. यही हाल दूसरे इलाकों में भी है. जहां अधिकांश ब्लॉकों के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में जगह ही नहीं है. इस स्थिति में प्रवासी मजदूर जिले में लौटकर भटकने को मजबूर हैं, जिस तरीके से आप तस्वीर देख रहे हैं. उसमें यह साफ पता चल रहा है कि जैजैपुर ब्लॉक और पामगढ़ ब्लॉक के मजदूर दर-दर भटक रहे हैं. अब उनके लिए कोई आसरा नहीं बचा है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में 3 हजार से ज्यादा मजदूर

कोरोना वायरस की वजह से प्रवासी मजदूरों को गांव में भी नहीं मिल रही जगह

क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह नहीं मिल रही है, तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से उनके गांव में भी उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में मजदूरों को तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है. इधर इस संबंध में प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. वह भी अब बोल रहे हैं, कि क्वॉरेंटाइन के लिए कोई जगह नहीं है और स्थिति बहुत खराब है. पामगढ़ तहसीलदार ने कहा कि अब होम क्वॉरेंटाइन ही एक विकल्प रह गया है, जिससे मजदूर कहीं के नहीं रहे.

प्रवासी मजदूर परेशान
जिले में अब तक 63 हजार मजदूर घर वापस लौटे
बता दें कि जब 11 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था, तो जिला प्रशासन यह मानकर चल रहा था कि जिले में 34 हजार मजदूर वापस लौटेंगे. इसको देखते हुए क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाने की तैयारी शुरू हुई थी, लेकिन यह आंकड़ा अब लगभग दोगुना हो गया है. जिला पंचायत सीईओ तीर्थराज अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 63 हजार मजदूर वापस लौट चुके हैं. ऐसे में जो व्यवस्था है वह पूरी तरीके से छिन्न-भिन्न हो गया है. इस स्थिति में जिला प्रशासन के पास कोई भी विकल्प नहीं दिख रहा है, जैसा कि पामगढ़ तहसीलदार ने कहा कि होम क्वॉरेंटाइन ही विकल्प है, लेकिन गांव वालों के विरोध के कारण मजदूरों को यह भी मयस्सर नहीं है कि वह अपने घर चले जाएं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details