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Janjgir Consumer Forum: जांजगीर उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला, उपभोक्ता को मिला न्याय - जांजगीर में वाहन दुर्घटनाग्रस्त मामले में सुनवाई

जांजगीर उपभोक्ता फोरम ने वाहन क्षतिग्रस्त मामले में फैसला सुनाया है. वाहन की कीमत के साथ 20 हजार रुपये मासिक क्षतिपूर्ति देने का कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया है.

Janjgir Consumer Forum
जांजगीर उपभोक्ता फोरम

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Published : Feb 1, 2022, 8:00 PM IST

जांजगीर चांपा:जांजगीर उपभोक्ता फोरम ने अहम फैसला सुनाया है. एचडीएफसी बैंक से फाइनेंस कराने के बाद उपभोक्ता ने वाहन की खरीदारी की थी. उसके बाद उसका बीमा एचडीएफसी एरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी से कराया था. लेकिन खरीदी के 8 दिन के अंदर की वाहन हादसे का शिकार हो गई. इस मामले में उपभोक्ता आयोग ने सेवा में कमी पाई और डेढ़ महीने के भीतर वाहन की कीमत 18 लाख 23 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है.

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जानिए क्या है पूरा मामला
नैला स्टेशन रोड में रहने वाले शुभम पालीवाल के अधिवक्ता ने बताया कि शिवाय कार प्राइवेट लिमिटेड रायपुर तथा शिवाय कार के बिजनेस हेड शताद्रु भौमिक के माध्यम से एचडीएफसी बैंक से फाइनेंस करा कर वाहन खरीदी किया गया था. जिसकी कीमत 18 लाख 23 हजार 374 रुपए और वाहन का बीमा एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा 61 हजार 6 सौ 88 रुपये प्रीमियम अदा किया गया था.

इसी बीच 8 दिन बाद ही 28 फरवरी को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वाहन को मरम्मत के लिए एजेंसी ले जाया गया, जहां सर्वेयर द्वारा मरम्मत योग्य नहीं होने की बात कही गई. इसके बाद आवेदक वाहन विक्रेता एचडीएफसी बैंक बीमा को इसकी सूचना दी गई. वाहन को मरम्मत कराकर देने या फिर नया वाहन देने की मांग की गई. लेकिन एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस द्वारा तर्क दिया गया कि वाहन का पंजीयन समय पर नहीं कराया गया था. जिसके कारण बीमा दावा अमान्य है.

इस मामले में सेवा में कमी की बात करते हुए शुभम ने अधिवक्ता के माध्यम से उपभोक्ता आयोग में प्रस्तुत किया. सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष तजेश्वरी देवी, देवांगन सदस्य, मनरमण सिंह और मंजू राठौर ने सुनवाई में पाया कि आवेदक ने समय पर वाहन पंजीयन बीमा की राशि संबंधित को दे दी थी. संबंधित द्वारा वाहन दुर्घटना के बाद वाहन मरम्मत कराकर नहीं देना, सेवा की कमी की श्रेणी में आता है. इसलिए कोर्ट ने फैसला सुनाया और कंपनी को आवेदक को पैसे लौटाने का निर्देश दिया. जिसके तहत कंपनी को 18 लाख 30 हजार 3 सौ 74 रुपए के साथ 20000 मानसिक क्षतिपूर्ति और 2000 वाद व्यय स्वरूप 45 दिन के भीतर आवेदक को भुगतान करना होगा.

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