जांजगीर चांपा:जिले के बारगांव में हजारों की संख्या में लगे आंवले के पेड़ आज संकट में हैं. सही तरीके से देखभाल नहीं होने और अतिक्रमणकारियों की वजह से डेढ़ दशक पुराने आंवले के हजारों पेड़ ठूठ बनकर रह गए हैं. बचे हुए पेड़ों पर भी अतिक्रमणकारियों की नजर है. पंचायत के पास भी पेड़ों को बचाने के लिए फंड नहीं है.
6 से 7 हजार पेड़ों की संख्या घटकर हुई डेढ़ हजार
मैदानी जिले में जहां जंगल नहीं के बराबर होते हैं. ऐसे में जिले के पामगढ़ ब्लॉक के बारगांव में आंवले के हजारों पेड़ आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं. दरअसल बारगांव में डेढ़ दशक पहले वन विभाग ने 20 एकड़ में आंवले के पेड़ लगाए. उस समय लगभग 6 से 7 हजार आंवले के पेड़ लगाए गए. लेकिन आज की स्थिति में आंवला पेड़ों की संख्या महज डेढ़ हजार के करीब बची है.
पंचायत ने बताई फंड की कमी
वन विभाग ने फेंसिंग कर आंवले के पेड़ लगाए थे. 2 साल पहले वन विभाग ने बाड़ी को पंचायत को हैंड ओवर कर दिया था. पंचायत को इसकी जिम्मेदारी तो मिल गई लेकिन पंचायत की तरफ से बाड़ी के लिए कोई भी काम नहीं किया. इसके पीछे पंचायत ने फंड नहीं होने की दलील दी. रखरखाव ठीक से नहीं होने से बाड़ी की हालत और खराब हो गई. इस दौरान पूरी फेंसिंग भी ध्वस्त हो गई. अतिक्रमणकारियों ने पेड़ काटकर घर बनाना शुरू कर दिया.