जांजगीर चांपा: बुधवार को किसानों के काम को आसान बनाने के लिए ड्रोन का प्रदर्शन (Drone demo shown to farmer in Janjgir) किया गया. जांजगीर चांपा के तिलाई गांव के आदर्श गौठान में कृषि विभाग ने डेमो दिया. ड्रोन के जरिए एक एकड़ खेत में लगी फसल पर 15 मिनट में दवा छिड़काव (useful in spraying medicine) किया गया. किसान काफी उत्साहित नजर आए. किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने ड्रोन पर सब्सिडी बढ़ाने की मांग की है.
जांजगीर में किसानों को दिखाया गया ड्रोन का डेमो जांजगीर में ड्रोन से दवा छिड़काव का डेमो:किसानों को अपनी फसल में दवा छिड़कने के लिए मजदूरों के फेरे लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. राज्य सरकार से अधिकृत एक कंपनी ने ड्रोन मशीन को किसानों की आसानी के लिए स्पेयर पंप की तरह तैयार किया है. यह मशीन एक दिन में कम से कम 50 एकड़ जमीन में दवा का छिड़काव करने में सक्षम है.
दवा छिड़काव करती हुई ड्रोन मशीन ड्रोन की यह है खासियतें: ड्रोन के विषय में कंपनी के अधिकारी ने बताया कि "छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कृषि कार्य में ड्रोन को उपयोगी बनाने ड्रोन निर्माण के लिए जमीन स्वीकृत की गई है. रायपुर में ही ड्रोन असेंबल किया जा रहा है. इसमें 12 लीटर, 15 लीटर और 20 लीटर दवा छिड़काव की केपेसिटी है. यह ड्रोन 15 मिनट में 1 एकड़ खेत में दवा छिड़काव करता है. इस ड्रोन की कीमत 10 लाख के करीब है. लेकिन इसमें केंद्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है. साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार अभी इस पर विचार कर रही है. इस तरह अभी ड्रोन की कीमत 2लाख 50 हजार रुपए के करीब है. ड्रोन खरीदने वाले किसान को पूरी तरह ट्रेंड करने के बाद ही चलाने का अनुमति दिया जायेगा.
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छोटे किसानों के लिए महंगा है ड्रोन:ड्रोन के इस जीवंत प्रदर्शन को देखने के लिए जिले के 5 ब्लाक से किसान आये थे. इससे मजदूरों की कमी के बाद भी खेत में दवा छिड़काव के काम आसानी किया जा सकता है. साथ ही कम खर्च, कम समय में खेत को किट प्रकोप से बचाने के लिए उपयोगी ड्रोन उपयोगी है. यह दूसरे किसानों की खेत में दवा छिड़कने से कमाई का जरिया बन सकता है. लेकिन किसानों को ड्रोन की कीमत ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. किसानों ने शासन से ड्रोन की कीमत कम करने के लिए सबसिडी बढ़ाने की मांग की है.
शुरुआती दौर में कम रिस्पॉन्स: किसानों की खेती के काम को आसान बनाने के लिए ट्रेक्टर से लेकर हार्वेस्टर और कई तकनीक बनाए गए. सभी तकनीक को शुरुआती दौर में कम रिस्पॉन्स मिला. लेकिन जैसे ही किसानों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिला, उसकी डिमांड बढ़ने लगी. इस ड्रोन के बारे में भी इसी तरह की संभावना जताई जा रही है.