जांजगीर चांपा:जिनके न्याय से पक्ष और विपक्ष दोनों ही हो जाते थे (janjgir champa news) संतुष्ट. ऐसे न्याय प्रिय स्वर्गीय धर्म दत्त पांडेय (sarpanch Dharmdutt Pandey ) को गांव में याद किया जाता है. जांजगीर चांपा के सिवनी गांव के प्रथम निर्वाचित सरपंच धर्मदत्त पांडे की 59वींं पुण्यतिथि के अवसर पर खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग के सदस्य शशिकांता राठौर ने शिरकत की. कार्यक्रम के दौरान दिव्यांग युवक युवतियों को ट्राई साइकल का वितरण किया गया.
क्यों मौत के 59 साल बाद भी याद किया जाता है ये सरपंच - sarpanch Dharmdutt Pandey
आजादी के पहले गांवों में न्याय व्यवस्था सरपंच के जिम्मे होती थी. ऐसे ही सरपंच थे धर्मदत्त पाण्डेय जिनके न्याय से एक दो नहीं बल्कि 200 गांवों पर असर होता था.
कौन थे धर्मदत्त पांडेय : सिवनी गांव के प्रथम सरपंच पंडित धर्मदत्त को गांव के लोग आज भी उन्हें याद किया जाता है. स्वर्गीय धर्म दत्त का जन्म सिवनी गांव में 1908 में जन्म हुआ और 1963 में निधन हुआ. इस दौरान धर्मदत्त पांडेय सिवनी गांव के प्रथम निर्वाचित सरपंच हुए. जिन्होंने अपने कार्यकाल में गांव के विकास के साथ-साथ न्याय प्रियता के कारण लोगों के चहेता बने रहे. इसके बाद नैला में न्याय परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे. इस न्याय परिषद में 200 गांव के लोगों की समस्या का निपटारा होता था.
गांव में नहीं हुआ एक भी अपराध :स्वर्गीय धर्मदत्त पांडेय की पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी पारस शर्मा ने अपने उदबोधन में बताया कि ''जिस समय देश में ऊंच नीच की भावना गांव गांव में पनप रहा था. उस समय पंडित धर्म दत्त जी की न्याय प्रियता और गांव में आपसी भाई चारा का डंका अविभाजित मध्यप्रदेश में फैला हुआ था. उन्होंने गाव और सभी समाज को एकता के सूत्र में बांधा. इस गांव में उनके रहते तक किसी तरह के अपराधिक प्रकरण थाना में दर्ज नहीं हुआ.यही वजह है कि आज भी उन्हें उनके जाने के 59 साल बाद भी उतने ही शिद्दत से याद किया जाता है और आगे भी इस परंपरा को जारी रखा जाने के संकल्पित है.''
गांवों में थी अलग पहचान : पूर्व सरपंच सनत पांडे ने बताया कि '' धर्मदत्त पांडे का काम आज भी सिवनी गांव के लोगों के लिए अहम भूमिका बनी है. उन्होंने सामाजिक व्यवस्था के रूप में सबसे बड़ा काम कृषि के क्षेत्र में किया. गांव के प्रमुख होने के नाते उन्होंने पंचायत के अलावा अलग निगरानी कमेटी तैयार की थी. जो गांव के सभी व्यवस्था पर निगरानी रखती थी. जिसके कारण उनका न्याय पर पूरे गांव को भरोसा होता था. पक्ष विपक्ष दोनों उनके निर्णय का सम्मान करते थे. सिवनी गांव में खेती किसानी के लिए विशेष इंतजाम किया जाता रहा और उस समय न तो किसी के खेत से पेड़ का एक डगाल काट सकता था. न ही मवेशियों को आवारा छोड़ा जाता था.