जांजगीर चांपा: जांजगीर एस डीओपी चंद्रशेखर परमा ने बताया कि "वित्तीय वर्ष 2019-2020 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी कुंजल सिंह तोमर ने जिले के 172 निजी स्कूलों द्वारा प्रस्तुत मांग पत्र की पुष्टि की. जिसकी मांग राशि 5 करोड़ 70 लाख 90 हजार 745 रूपए के भुगतान की जानकारी तैयार कर लोक शिक्षण संचानालय इंद्रावती भवन नया रायपुर को भेजा. जिसमें बलौदा के मयूरा कॉन्वेंट स्कूल का नाम शामिल था और जिला शिक्षा अधिकारी ने कम्प्यूटर ऑपरेटर, क्लर्क और मयूरा कॉन्वेंट स्कूल के संचालक से सांठ गांठ कर 7 लाख रूपये के बजाय 72 लाख रूपये भुगतान करा दिया था.
स्कूल संचालक ने अधिकारियों को दिया प्रलोभन: इस मामले के सामने आने पर कलेक्टर के आदेश पर वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी ने कोतवाली थाना में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने विवेचना में पाया कि मयूरा कॉन्वेन्ट स्कूल बलौदा के संचालक राजेन्द्र मौर्य के द्वारा तत्कालीन शिक्षा का अधिकार खण्ड प्रभारी क्लर्क शिवानंद राठौर और विकास कुमार साहू, कम्प्यूटर ऑपरेटर के साथ डीईओ को प्रलोभन दिया गया. जिसके बाद मिली भगत से शिक्षा के अधिकार की राशि की मांग पत्र तैयार की.
दस्तावेज में कांट छांट कर किया गया राशि गबन: मयूरा कॉन्वेन्ट स्कूल बलौदा के 2019-20 के मांग पत्रक में दर्ज राशि में कांट-छांट कर पात्रता से अधिक राशि 72 लाख 27 हजार 690 रूपये का मांग पत्र तैयार किया गया. जिसके बाद स्वीकृति हेतु कार्यालय संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर को भेज दिया. मयूरा कॉन्वेन्ट स्कूल बलौदा के खाता में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राशि 72 लाख 27 हजार 690 रूपये का भुगतान किया गया. इस मामले में पुलिस ने धारा 467 ,468, 471,120 बी आईपीसी के तहत अपराध दर्ज किया.