जांजगीर-चांपा :कुपोषण से लड़ाई के खिलाफ शासन पानी की तरह पैसे बहा रही है. लेकिन जांजगीर-चांपा जिले में संचालित होने वाले 22 सौ 71 आंगनबाड़ी केन्द्रों में पिछले 8 महीनों से अमृत दूध की सप्लाई बंद है. जिसकी वजह से बच्चों को दूध नहीं दिया जा रहा है. इन केन्द्रों में छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं रोजाना आती हैं. लेकिन पिछले 8 महीनों से अमृत दूध की सप्लाई बंद होने के कारण उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है.
आंगनबाड़ी केंद्रों में अमृत दूध की सप्लाई 8 महीने से बंद, क्या हम ऐसे लड़ेंगे कुपोषण से जंग - जांजगीर की खबर
जिले में 23 हजार बच्चे कुपोषित और 35 सौ गंभीर कुपोषित है. इसे दूर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अमृत दूध योजना की शुरुआत सुकमा से की थी. लेकिन योजना अब सिर्फ कागजों और फाइलों में सिमटकर रह गई है.
करीब चार साल पहले प्रदेश में अमृत दूध योजना की शुरुआत हुई थी. इस योजना में आंगनबाड़ी के तीन से छह साल के बच्चों को रोजाना 100 एमएल दूध दिया जाना था. लेकिन,अब यह योजना प्रदेश में लगभग बंद हो गई है. दूध की सप्लाई नहीं होने से आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दूध नहीं मिल पा रहा हैं.
योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन साल से छह साल के बच्चों को हर सोमवार को 100 मिलीलीटर मीठा सुगंधित दूध दिया जाना था. इस योजना को शुरू कर छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य बना, जहां आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन साल से छह साल के बच्चों को हर सप्ताह मीठा दूध देने की व्यवस्था थी. जब इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने गोल मोल जवाब दिया. महिला बाल विकास अधिकारी ने इसे शासन स्तर का मामला बता दिया.