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बस्तर दशहरा: जंगल घटने की वजह से लकड़ी देने को राजी नहीं थे ग्रामीण, इस शर्त पर माने - Chhattisgarh Famous Dussehra

बस्तर दशहरा के लिए ककालगुर ग्राम पंचायत के लोगों ने रथ निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी काटने नहीं देने का फैसला लिया था, जिसे लेकर ग्रामीण, राजपरिवार, दशहरा समिति और प्रशासन के बीच बातचीत हो रही थी.लेकिन दशहरा समिति के मान-मनौव्वल के बाद ग्रामीणों ने अपने गांव से लकड़ियां देने की इजाजत दे दी हैं.

Bastar Dussehra 2020
बस्तर का दशहरा

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Published : Oct 8, 2020, 11:32 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में बीते 600 वर्षो से मनाये जा रहे विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व में इस साल नए रथ निर्माण के लिए संशय बना हुआ था. लेकिन दशहरा समिति के मान-मनौव्वल के बाद दरभा ककालगुर के ग्रामीणों ने रथ निर्माण के लिए अपने गांव से लकड़ियां दे दी हैं.

लकड़ी देने को राजी ग्रामीण

दरभा विकासखंड के ककालगुर ग्राम पंचायत के लोगों ने ग्राम सभा में रथ निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी काटने नहीं देने का फैसला लिया था, जिसे लेकर ग्रामीण, राजपरिवार, दशहरा समिति और प्रशासन के बीच बातचीत हो रही थी. गांववालों के मानने के बाद करीब एक दर्जन ट्रकों में लकड़ियां दंतेश्वरी मंदिर के परिसर सिरहसार भवन के सामने उतारी गई हैं. अब 8 चक्के का विशालकाय रथ बनने का काम जल्द शुरू हो जाएगा.

जल्द शुरू होगा रथ निर्माण

प्रशासन ने रियासत काल से रथ निर्माण का काम करने वाले झाड़उमर और बेड़ाउमर गांव के लोगों को संदेशा भेज दिया है और अब रथ कारीगरों के सीरासार भवन में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाएगा और रथ निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा.

गांववालों की मांगें मानी गईं

बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने ईटीवी भारत को बताया कि ककालगुर गांव में घटते वनों पर चिंता जाहिर करते हुए गांव के ग्रामीणों ने इस बार नए रथ निर्माण के लिए अपने गांव से लकड़ी देने से साफ इंकार कर दिया था. जिसके बाद उनके द्वारा और बस्तर दशहरा समिति एवं प्रशासन के द्वारा लगातार ग्रामीणों को मनाने का काम किया जा रहा था और आखिरकार ग्रामीणों ने एक शर्त पर अपने गांव से कुछ लकड़ियां रथ निर्माण के लिए दे दी है. ग्रामीणों का कहना है कि फॉरेस्ट विभाग के द्वारा ककालगुर में वृक्षारोपण किया जाना चाहिए ताकि उनके गांव में वनों की संख्या बनी रहे.

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रथ निर्माण करने वाले ग्रामीणों को बुलाया गया

वहीं दशहरा कमेटी के सदस्य और राजस्व निरीक्षक सतीश मिश्रा ने बताया कि दरभा ब्लॉक के ककालगुर के ग्रामीणों के विरोध के चलते नए रथ निर्माण के लिए संशय बना हुआ था, लेकिन ग्रामीणों को दशहरा समिति द्वारा मनाया गया और कुछ लकड़ी ककालगुर गांव से लाए गए हैं. वहीं दरभा ब्लॉक के झीरम जंगल समेत बकावंड और माचकोट के जंगल से भी विशाल पेड़ों को काटकर रथ निर्माण के लिए लकड़ियां शहर लाई गई है और रथ निर्माण के लिए ग्रामीणों को आने के लिए सूचना भी दे दी गई है. संभवत एक-दो दिनों में सभी रथ कारीगर पहुंच जाएंगे उसके बाद रथ निर्माण का काम तेजी से शुरू हो जाएगा.

कोरोना की वजह से अपील

जिला प्रशासन, राजपरिवार और दशहरा समिति का कहना है कि कोरोना काल में भीड़ कम हो और साथ ही बाहरी विजिटर भी ना आ पाएं इसका खास ध्यान रखा जा रहा है. हर साल विदेशी नागरिक भी यहां के विधि विधान और विशाल रथ परिक्रमा को कैमरे में उतारने पहुंचते हैं, लेकिन देश में फैली कोरोना की वजह से विदेशी सैलानी और दूसरे राज्यों से पहुंचने वाले पर्यटक इस वर्ष इस दशहरा पर्व को नहीं देख पाएंगे. वहीं स्थानीय लोगों को भी कम से कम संख्या में आने को प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है.

पढ़ें-600 साल पुरानी बस्तरिया परंपरा पर संकट, ग्रामीणों ने रथ के लिए लकड़ी देने से किया इंकार

कम लोगों के आने की अपील

बस्तर राजपरिवार सदस्य कमल चंद भंजदेव व दशहरा समिति के सदस्यों ने कहा है कि इस बार कोरोना की वजह से भीड़ तो कम होगी लेकिन पर्व की गरिमा और परंपरा कायम रहेगी. जिस रफ्तार से कोरोना का प्रकोप शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ रहा है उसे लेकर हर कोई चिंतित है. ऐसे में प्रयास किया जाएगा कि दशहरा पर्व में दंतेवाड़ा से देवी दंतेश्वरी की डोली के अलावा गांव-गांव से सैकड़ों की संख्या में देवी देवताओं का आगमन होता है जिसे लेकर सिरहा, पुजारी एवं गांव के लोग भारी संख्या में आते हैं . इस बार प्रशासन द्वारा अपील की जा रही है कि परंपरा का निर्वहन करने वाले गिनती के लोग ही देवी देवताओं के साथ पहुंचे और गांव वासियों को गांव में ही रहने दें.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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