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महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर - बस्तर हर्बल गुलाल

होली को लेकर बस्तर की महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही है. कृषि विभाग के सहयोग से प्राकृतिक रूप से गुलाल तैयार किया जा रहा है. महिला समूह का मानना है कि इस कलर से कोई साइड इफेक्ट नहीं है. गुलाल में किसी तरह से कैमिकल का उपयोग नहीं किया गया है. पलाश, चुकंदर, भाजियों, जैसे प्राकृतिक उत्पाद से गुलाल तैयार हो रहा है.

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महिलाएं हर्बल गुलाल

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Published : Mar 27, 2021, 11:03 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर:बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. आदिवासी उप जनजाति योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र से तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जिले के हल्बा कचोरा गांव की सतरंगी स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल का निर्माण कर रही हैं. हरी पत्तेदार भाजियों, पलाश के फूल,चकुंदर, हल्दी, लालभाजी,पालकभाजी और सिंदूर के बीज से हर्बल गुलाल बना रही हैं. इससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है.

बस्तर में महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर

कृषि विज्ञान केंद्र ने दिया महिलाओं को प्रशिक्षण

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रितिका समरथ ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी डॉक्टर एसपी नाग के नेतृत्व में आदिवासी उप जनजाति योजना के अंतर्गत जिले के हलबा कचोरा गांव के स्व सहायता समूह को बकायदा कृषि केंद्र में हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए 3 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. महिलाएं 3 दिन में ही हर्बल गुलाल तैयार करना सीख गईं. जिसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र ने ही हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आरारोट के साथ ही सारे संसाधन उपलब्ध कराए गए. वहीं गुलाल पैकिंग मशीन, ग्राइंडर इसके अलावा अन्य संसाधन भी स्व सहायता समूह को उपलब्ध कराया गया.

महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर

महिलाओं ने तैयार किया 2 क्विंटल गुलाल

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 2 क्विंटल गुलाल तैयार कर लिया है. बकायदा इसकी पैकिंग कर मार्केट में इसकी बिक्री भी की जा रही है. बस्तर में पहली बार बनाए जा रहे हर्बल गुलाल की डिमांड भी बढ़ी है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र स्टॉल लगाकर उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है. कृषि वैज्ञानिक रितिका ने बताया कि इस हर्बल गुलाल के माध्यम से स्व सहायता समूह के 10 महिलाएं को दो -दो हजार रुपए की आमदनी हो सकती है. बस्तर में पहली बार हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. लेकिन आने वाले सालों में ज्यादा से ज्यादा हर्बल गुलाल तैयार कर स्व सहायता समूह की महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी हो सकती है.

महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर

हर्बल गुलाल से कोई साइड इफेक्ट नहीं

सतरंगी हर्बल गुलाल स्व सहायता समूह की सदस्य लीना बघेल ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे आरारोट में प्राकृतिक रंग मिलाकर हाथों से हर्बल गुलाल को तैयार कर रहे हैं. आसानी से मिलने वाली और सुरक्षित पालकभाजी, लाल भाजी ,हल्दी ,चकुंदर ,सिंदूर के बीज, पलाश के फूल से गुलाल तैयार किया जा रहा है. समूह के सदस्यों ने दावा किया है कि इस गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. कोरोना महामारी में जहां तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. ऐसे में मार्केट में आने वाले केमिकल गुलाल से और भी खतरा बढ़ जाता है, लेकिन प्राकृतिक चीजों से तैयार की जा रहे हर्बल गुलाल से फेस और शरीर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.

महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर

आप भी बनाइए आदिवासी महिलाओं की तरह हर्बल गुलाल

बाजार में मिल रहा है अच्छा रिस्पॉन्स

स्व. सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि उन्हें हर्बल गुलाल तैयार करने में मेहनत जरूर लगती है, लेकिन इसे बनाने में काफी मजा आता है. महिलाएं दिन-रात हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं. उन्होंने बताया कि 2 क्विंटल अब तक हर्बल गुलाल तैयार किया जा चुका है. इसे 4 रंगों में तैयार किया गया है. पूरी तरह से प्राकृतिक रंगों से बनाया जा रहा है. इस हर्बल गुलाल की मार्केटिंग भी उसी तरह से की जा रही है. हालांकि बस्तर में पहली बार तैयार किए जा रहे हर्बल गुलाल की मार्केटिंग की और ज्यादा जरूरत है. समूह की महिलाओं ने बताया कि खुद ही पैकेजिंग कर इसे शहर के बाजारों में बेचा जा रहा है. जहां उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है.

महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर

महिलाओं को शासन कर रही प्रोत्साहित: कलेक्टर

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि आने वाले सालों में ज्यादा से ज्यादा स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार करें, इसके लिए शासन उन्हें सहयोग करने के साथ ही प्रोत्साहित भी करेगी.

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बाजार में हर्बल गुलाल की अच्छी मांग

इधर होली का बाजार सज कर तैयार है. लोग गुलाल भी लेने पहुंच रहे हैं. लोगों का भी मानना है कि ज्यादा से ज्यादा हर्बल गुलाल तैयार किया जाना चाहिए. इसकी मार्केटिंग भी भरपूर की जानी चाहिए. लोगों को भी इस गुलाल के लिए जागरूक होना चाहिए. ताकि कोरोना का हाल में केमिकल वाले गुलाल से सावधानी बरतते हुए हर्बल गुलाल से होली त्यौहार का आनंद उठा सकें. वही इस कलर से बच्चे, बूढ़े और महिलाओं को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.

मार्केट में हर्बल गुलाल का मूल्य बाकी गुलालो के मुकाबले थोड़ी ज्यादा जरूर है, लेकिन बस्तर के कुछ जागरूक लोग होली त्यौहार को मनाने के लिए हर्बल गुलाल की खरीददारी कर रहे हैं, जिससे स्व सहायता समूह की महिलाओं को आमदनी भी हो रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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