जगदलपुर:बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. आदिवासी उप जनजाति योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र से तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जिले के हल्बा कचोरा गांव की सतरंगी स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल का निर्माण कर रही हैं. हरी पत्तेदार भाजियों, पलाश के फूल,चकुंदर, हल्दी, लालभाजी,पालकभाजी और सिंदूर के बीज से हर्बल गुलाल बना रही हैं. इससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है.
कृषि विज्ञान केंद्र ने दिया महिलाओं को प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रितिका समरथ ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी डॉक्टर एसपी नाग के नेतृत्व में आदिवासी उप जनजाति योजना के अंतर्गत जिले के हलबा कचोरा गांव के स्व सहायता समूह को बकायदा कृषि केंद्र में हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए 3 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. महिलाएं 3 दिन में ही हर्बल गुलाल तैयार करना सीख गईं. जिसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र ने ही हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आरारोट के साथ ही सारे संसाधन उपलब्ध कराए गए. वहीं गुलाल पैकिंग मशीन, ग्राइंडर इसके अलावा अन्य संसाधन भी स्व सहायता समूह को उपलब्ध कराया गया.
महिलाओं ने तैयार किया 2 क्विंटल गुलाल
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 2 क्विंटल गुलाल तैयार कर लिया है. बकायदा इसकी पैकिंग कर मार्केट में इसकी बिक्री भी की जा रही है. बस्तर में पहली बार बनाए जा रहे हर्बल गुलाल की डिमांड भी बढ़ी है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र स्टॉल लगाकर उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है. कृषि वैज्ञानिक रितिका ने बताया कि इस हर्बल गुलाल के माध्यम से स्व सहायता समूह के 10 महिलाएं को दो -दो हजार रुपए की आमदनी हो सकती है. बस्तर में पहली बार हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. लेकिन आने वाले सालों में ज्यादा से ज्यादा हर्बल गुलाल तैयार कर स्व सहायता समूह की महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी हो सकती है.
हर्बल गुलाल से कोई साइड इफेक्ट नहीं
सतरंगी हर्बल गुलाल स्व सहायता समूह की सदस्य लीना बघेल ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे आरारोट में प्राकृतिक रंग मिलाकर हाथों से हर्बल गुलाल को तैयार कर रहे हैं. आसानी से मिलने वाली और सुरक्षित पालकभाजी, लाल भाजी ,हल्दी ,चकुंदर ,सिंदूर के बीज, पलाश के फूल से गुलाल तैयार किया जा रहा है. समूह के सदस्यों ने दावा किया है कि इस गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. कोरोना महामारी में जहां तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. ऐसे में मार्केट में आने वाले केमिकल गुलाल से और भी खतरा बढ़ जाता है, लेकिन प्राकृतिक चीजों से तैयार की जा रहे हर्बल गुलाल से फेस और शरीर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.