जगदलपुर: गर्मी का मौसम नजदीक है और एक बार फिर बस्तर की प्राणदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर है. पिछले साल भी गर्मी में इंद्रावती पूरी तरह सूख गई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि विश्व प्रसिध्द चित्रकोट जलप्रपात भी पानी के अभाव में सूख गया था.
शहर के जागरूक लोगों ने इंद्रावती बचाओ मंच का गठन कर ओडिशा से चित्रकोट तक पदयात्रा की और सरकार के सामने इस समस्या को संज्ञान में भी लाया था.
हालांकि सरकार ने भी इसे गंभीर समस्या मानते हुए इसके निराकरण के लिए बाकायदा इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. जिससे प्राणदायनी नदी को बचाया जा सके. पर इन सब घोषणाओं को आज एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन इस ओर सरकार ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया है.
पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति
दरअसल, ओडिशा के कालाहांडी से निकलने वाली इंद्रावती का एक लंबा रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है और यही वजह है कि इसे बस्तर की प्राणदायनी भी कहा जाता है. इसका उद्गम ओडिसा से हुआ है, जिसकी वजह से हमेशा से ही इंद्रावती के पानी के बंटवारे को लेकर पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति रही है.
साल 2003 में एक समझौते के तहत सालाना 8.115 टीएमसी पानी देने का वादा ओडिशा सरकार ने किया था, लेकिन आज भी ओडिशा सरकार की ओर से वादाखिलाफी ही की जा रही है.