जगदलपुर :बस्तर जिले के दो शासकीय चिकित्सकों ने पूरे प्रदेश में एक मिसाल पेश की है. इन डॉक्टरों ने 1700 लोगों को कोरोना से बचाव के लिए नि:शुल्क परामर्श दिया है. दरअसल एक तरफ कोरोना काल में जहां कोरोना से संक्रमितों को इलाज के नाम पर निजी अस्पताल मनमाना बिल थमाने का काम कर रहे थे, तब डिमरापाल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अनूप साहू और दरभा ब्लॉक में तैनात डॉक्टर महेंद्र प्रसाद लोगों को नि:शुल्क परामर्श देकर उनकी जान बचा रहे थे. इनसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से लोग परामर्श ले रहे थे. इसके अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोग भी इनसे संपर्क कर सलाह ले रहे थे. इन दोनों डॉक्टरों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है.
जिला प्रशासन ने बढ़ते संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए होम आइसोलेट हुए मरीजों को परामर्श देने के लिए चिकित्सकों को तैनात किया था, जिनके द्वारा ऑनलाइन परामर्श मरीजों को दी जा रही थी. 10 दिन के परामर्श के लिए ढाई हजार रुपए फीस निर्धारित की गई थी, कई मरीजों ने डॉक्टरी सलाह लेकर अपनी जान भी बचाई और इन डॉक्टरों के द्वारा दवाइयों की भी सही जानकारी दी गई. इस दौरान जिले के 2 डॉक्टर ऐसे थे जिन्होंने बीते 16 माह में करीब 1700 लोगों को परामर्श दिया वह भी पूरी तरह से नि:शुल्क.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप साहू ने 800 लोगों को परामर्श दिया इसके साथ ही उन्होंने संक्रमित पाए गए बच्चों का भी इलाज कर उनकी जान बचाई. डॉ महेंद्र प्रसाद ने 900 लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया जिसमें बस्तर संभाग के अलावा दूसरे राज्यों और विदेशों से भी उनके पास फोन आए और वीडियो कॉलिंग के जरिए उन्होंने मरीजों से बात की. अच्छी बात यह रही कि एक भी मामले में जान का नुकसान किसी को नहीं हुआ. इन्होंने ना केवल कोरोना महामारी को लेकर फैले अफवाह को कोरोना संक्रमित मरीजों के बीच से दूर किया बल्कि उन्हें इलाज के लिए सही दिशा भी दी. डॉ अनूप साहू और डॉ महेंद्र प्रसाद ने बताया कि वह कई मामले में वीडियो कॉल में आकर भी लोगों को परामर्श दे रहे हैं कोरोना का कहर फिलहाल कम हुआ है पर सेवा कार्य अभी भी जारी है.
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नि:शुल्क इलाज करने का लिया फैसला
डॉ अनूप साहू ने बातचीत के दौरान बताया कि, जब करोना के दौरान बस्तर समेत देश में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ी तो इससे जुड़े अफवाह भी काफी संख्या में फैलने लगे. इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने फीस लेकर भी डॉक्टरों को परामर्श देने के लिए राजी किया. कई डॉक्टर फीस लेकर परामर्श भी देते रहे, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकराते हुए यह काम नि:शुल्क करने का निर्णय लिया. पहली लहर के शुरुआती दिनों में ही अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने अपने नंबर जरूरतमंदों तक पहुंचाए.
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