जगदलपुर में जिलेभर से सैकड़ों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने शहर में विशाल रैली निकालकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाते हुए बस्तर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. हालांकि 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 राज्यों को दिए गए इस बेदखली के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जुलाई को होनी है, लेकिन रैली की शक्ल में शहर पहुंचे इन आदिवासियों ने उन एनजीओ से भी सवाल किया है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका लगाई थी कि आदिवासियों से जंगल में जंगली जानवरों को खतरा है.
'आदिवासी और जंगल एक-दूसरे के पूरक'
सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने ऐसे एनजीओ से सवाल करते हुए पूछा है कि, 'आदिवासी और जंगल एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों को ही एक-दूसरे से कोई खतरा नहीं है, लेकिन बस्तर में नक्सलियों से मोर्चा ले रही सीआरपीएफ जैसी पैरामिलिट्री फोर्स के कारनामों पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता'.
'CRPF द्वारा पेड़ों की कटाई की गई'
प्रकाश ठाकुर ने सीआरपीएफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि, 'बस्तर में इन्होंने अपने कैंप लगाने के लिए अंधाधुंध वनों की कटाई की है जिसका वन विभाग के पास भी कोई हिसाब नहीं है पर आज तक न किसी एनजीओ ने और न ही किसी जिम्मेदार ने इस मामले को संज्ञान में लिया और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की गई'.