बीजापुर:छत्तीसगढ़ में सुकमा से सरगुजा तक आदिवासियों ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ हल्ला बोल 15 जनवरी से शुरू किया. लेकिन इस आंदोलन ने 16 जनवरी से बड़ा का रूप ले लिया है. अब इस आंदोलन को स्थानीय लोगों का भी समर्थन मिलने लगा है.17 जनवरी को महाराष्ट्र राज्य के ग्रामीणों ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर इसे व्यापक रुप दे दिया है. वहीं इस आंदोलन में सहयोग के लिए स्कूल के बच्चे और दिल्ली की एक टीम के साथ बेला भाटिया भी पहुंची हैं.
आपको बता दें कि पेसा कानून के उल्लंघन और ग्राम सभाओं को नजरअंदाज करने के कारण आदिवासी समुदाय सरकार से नाराज है.एक बार फिर राज्यभर में आंदोलन तेज हो रहा है. बीजापुर जिले के भैरमगढ़ इलाके में इंद्रावती नदी पर पुंडरी-ताडबाकरी गांव में एक पुल निर्माण कार्य किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय आदिवासियों का आरोप है कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर यह निर्माण कार्य शुरू कर दिया . पिछले साल इसी काम का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. जिसमें 50 आदिवासी घायल हुए थे वहीं 8 आदिवासियों को जेल में डाला गया था.
एक बार फिर आंदोलन तेज :आदिवासियों ने एक बार फिर एकजुटता दिखाई है. 15 जनवरी से इंद्रावती नदी के किनारे रैली निकाली. फिर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया. यहां करीब 11 ग्राम पंचायतों के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक सरकार पेसा कानून और ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती तब तक उनके इलाके में सरकारी निर्माण कार्य का विरोध किया जाएगा. यदि सरकार को आदिवासियों का विकास करना है तो उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी. ना तो सरकार नियम कानून का पालन कर रही है और ना ही आदिवासियों को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने दे रही.
आदिवासी नेता लालसु नागोटी का बयान: इस आंदोलन के बारे में आदिवासी नेता लालसु नागोटी ने बताया कि "आंदोलन में बीस पच्चीस गांव के लोग शामिल हुए हैं. कुछ गांव के लोग छत्तीसगढ़ से हैं. कुछ महाराष्ट्र के लोग भी यहां शामिल हैं. हम सब यहां पर आए हैं. पुल के निर्माण का हम सब विरोध कर रहे हैं. जबकि यहां बेसिक सुविधा नहीं है. यहां स्कूल नहीं है, यहां आंगनबाड़ी नहीं है. इन सभी चीजों की मांगों को लेकर हम लोग आंदोलन कर रहे हैं. पुल का निर्माण कर के ये लोग यहां के जल जंगल जमीन को लूटना चाह रहे हैं."