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सारकेगुड़ा कांड की बरसी के मौके पर सिलगेर में जुट रहे हजारों आदिवासी, IG ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम - मूलवासी बचाओ मंच

बीजापुर के सारकेगुड़ा में 28 जून 2012 को हुए पुलिस एनकाउंटर में 17 लोगों की मौत हुई थी. ग्रामीण इस दिन मारे गए लोगों की बरसी मनाते हैं. इस साल ग्रामीण सिलगेर में सारकेगुड़ा कांड की बरसी (anniversary of sarkeguda incident ) मनाने की तैयारी में हैं. 28 जून को सिलगेर में होने वाले बरसी कार्यक्रम में 2000 से 3000 लोगों के जुटने की आशंका जताई जा रही है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी (Bastar IG Sundarraj P ) ने सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात करने की बात कही है. (sarkeguda encounter)

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सारकेगुड़ा कांड की बरसी के मौके पर सिलगेर में जुट रहे हजारों आदिवासी

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Published : Jun 28, 2021, 9:37 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बीजापुर के सारकेगुड़ा में 28 जून 2012 को हुए पुलिस एनकाउंटर में 17 लोगों की मौत हुई थी. बस्तर के ग्रामीण सुरक्षाबलों पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाते हैं. 8 सालों से इस दिन एनकाउंटर में मारे गए ग्रामीणों की याद में बरसी मनाई जाती है. (anniversary of sarkeguda incident ) हर साल इस घटना के विरोध में सारकेगुड़ा निवासी धरना-प्रदर्शन करते हैं. इस साल भी मूलवासी बचाओ मंच के जारी किए गए पोस्टर में 28 जून को सारकेगुड़ा की बरसी पर विशाल जनसभा का एलान किया गया है.

सिलगेर में जुट रहे हजारों आदिवासी

पहुंचने लगा है ग्रामीणों का काफिला

सारकेगुड़ा मुठभेड़ (sarkeguda encounter) की बरसी के लिए पिछले कुछ हफ्तों से लगातार आसपास के ग्रामीण सिलगेर पहुंच रहे हैं. अब तक लगभग 2 हजार से अधिक ग्रामीण पहुंच चुके हैं. साथ ही लगातार जंगल के रास्ते हजारों ग्रामीण कल यहां पहुंच सकते हैं. इस दौरान एक बड़ा जनसैलाब देखने को मिल सकता है. बस्तर पुलिस भी अपनी तैयारी में जुट गई है. मौके पर बैरिकेडिंग भी की जा रही है.

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बड़ी संख्या में जुट रहे ग्रामीण

जानकारी के मुताबिक, 28 जून को सिलगेर में होने वाले आंदोलन में 2000 से 3000 लोगों के जुटने की आशंका जताई जा रही है. सारकेगुड़ा की बरसी होने की वजह से बीजापुर के साथ ही सुकमा और उससे लगे आसपास के इलाकों से भारी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा होने की भी जानकारी मिल रही है. बस्तर आईजी ने इस आंदोलन की रूपरेखा को देखते हुए और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने का दावा किया है.

ग्रामीणों पर आंदोलन के लिए दबाव बना रहे नक्सली: आईजी सुंदरराज पी

बस्तर आईजी सुंदरराज पी (Bastar IG Sundarraj P ) ने कहा कि सिलगेर में बीते 9 जून को आपसी रजामंदी के बाद ग्रामीणों ने आंदोलन को स्थगित कर दिया था, लेकिन उस क्षेत्र के नक्सली ग्रामीणों पर जबरन दबाव बनाकर उन्हें सिलगेर कैंप के विरोध के लिए दोबारा भेज रहे हैं. आईजी ने बताया कि ग्रामीण जाने से मना करते हैं या तबीयत खराब होने की बात कहते हैं, तो उन पर 1 हजार से 5 हजार तक का जुर्माना लगाया जा रहा है.

इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात

आईजी ने कहा कि सिलगेर में 28 जून को बड़ा आंदोलन करने की जानकारी पुलिस को मिली है. जिसे देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात भी किया जा रहा है, साथ ही इस इलाके में बैरिकेडिंग भी की जा रही है. आईजी का कहना है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए उसूर ब्लॉक को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. इस दौरान किसी भी प्रकार की जुलूस, रैली या जनसभा की अनुमति नहीं है. आईजी ने कहा कि अगर कंटेटमेंट जोन में नियम का उल्लंघन किया जाता है तो उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों के समर्थकों पर भी पुलिस पूरी तरह से नजर बनाए हुए है. अगर किसी भी प्रकार की कोई जानकरी पुलिस को मिलती है तो त्वरित कार्रवाई की जाएगी.

SPECIAL: एक मुठभेड़...7 साल...17 मौतें और कई सवाल

क्या है सारकेगुड़ा कांड?

साल 2012 में 28 जून की रात सारकेगुड़ा में सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त एनकाउंटर में 17 लोगों की मौत हुई थी. (sarkeguda encounter) बता दें इनमें 6 की उम्र 18 साल से भी कम थी. इस कांड के लिए एक सदस्यीय न्यायिक जांच की रिपोर्ट करीब सात साल बाद सामने आई थी. बता दें इलाके के ग्रामीण इसे फर्जी एनकाउंटर बता रहे थे. फिर सामने आई जांच रिपोर्ट ने भी एंकाउंटर पर सवाल उठाए थे. (what is sarkeguda scandal )

रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में नक्सलियों के शामिल होने के सबूत मिले ही नहीं. रिपोर्ट में मारे गए लोग को ग्रामीण बताया गया था. रिपोर्ट में लिखा था कि एनकाउंटर में जो जवान घायल हुए वो एक-दूसरे की गोलियों से घायल हो गए थे. रिपोर्ट कहती है ग्रामीणों की तरफ से गोली चली ही नहीं थी. गोली चलने के सबूत ही नहीं मिले.

7 बिंदुओं पर की गई जांच
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से 7 बिंदुओं पर जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था, जिसके सभी बिंदुओं पर जांच की गई. इन बिंदुओं के अलावा भी आयोग ने पाया कि ग्रामीण खुले मैदान में बैठक कर रहे थे, जबकि सुरक्षाबलों ने घने जंगलों में बैठक की जानकारी दी थी. साथ ही आयोग ने जांच नें पाया कि सुरक्षाबलों की ओर से की गई फायरिंग आत्मरक्षा में नहीं थी बल्कि जरूरत से ज्यादा फायरिंग की गई, मारे गए ग्रामीणों में से 6 को सिर पर गोली लगी थी.

फर्जी थी सारकेगुड़ा मुठभेड़, मारे गए 17 लोग नहीं थे नक्सली, न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट

कब-कब क्या हुआ-

  • 28 और 29 जून की रात साल 2012 में सारकेगुडा, कोट्टागुडा और राजपुरा के जंगलों में बैठक कर रहे ग्रामीणों पर सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों ने फायरिंग की.
  • फायरिंग में 7 नाबालिग सहित 17 ग्रामीणों की मौत हुई थी. साथ ही 10 ग्रामीण घायल हो गए थे. 6 जवान भी घायल हुए थे.
  • गांववालों ने सुरक्षाबलों पर एकतरफा फायरिंग का आरोप लगाया था और जांच की मांग की थी.
  • राज्य सरकार की ओर से 7 बिंदुओं पर जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था.
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोग ने इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

क्या है सिलगेर का मामला?

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. (what is case of silger ) इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रमीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा है कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे थे. इस मामले में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इस मामले में सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांववालों ने अपनी 7 मांगे सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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