जगदलपुर: बस्तर में ग्रामीण बच्चों को बेहतर स्कूली शिक्षा देने के नाम पर किस तरह से उनका शोषण किया जा रहा है यह बानगी बस्तर और कोंडागांव जिले से लगे घोड़ागांव प्राथमिक शाला में देखने को मिल रहा है. जहां 6 वीं क्लास के बच्चे कड़ी धूप में आधा किलोमीटर की दूरी से पानी भरकर स्कूल ला रहे थे. ये मासूम बच्चे डंडे की मदद से कंधे पर पानी के भरे बर्तन को ढोते दिखाई दिए. बताया जा रहा है कि, स्कूल में लगाया गया बोर काफी दिनों से खराब है. लेकिन उसकी मरम्मत नहीं की जा रही है. लिहाजा बच्चे हर दिन स्कूल आने के बाद नेशनल हाईवे के पास मौजूद नल से आधा किलोमीटर की दूरी तक चलकर पानी लाते हैं, और उस पानी को पीने के साथ स्कूल में अन्य चीजों के लिए इस्तेमाल करते हैं.
बस्तर में शिक्षा का हाल बेहाल, स्कूली बच्चों से कराया जा रहा है काम
बस्तर में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. कोंडागांव के सटे घोड़ागांव में स्कूली बच्चों से पानी भरवाया जा रहा है.
स्कूल में प्यून और रसोईया होने के बावजूद बच्चों से इस तरह पानी भराने को लेकर स्कूल के जिम्मेदार प्राचार्य संतोष चौहान बच्चों से पानी भराने को लेकर गोलमोल जवाब दे रहे हैं. प्राचार्य ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि 'उन्हें नहीं मालूम की बच्चों से रसोईया ने पानी भराया है'. हांलाकि कई दिनों से बोर खराब है. इसलिए पानी की किल्लत जरूर हो रही है. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बच्चे नेशनल हाईवे के पास से दूर पैदल चलकर पानी भरकर स्कूल ला रहे हैं.
इधर इस मामले में शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही है. लेकिन यह कार्रवाई कब होगी यह कोई बताने को तैयार नहीं है.