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आपके सांसद: मोदी सरकार की सभी योजनाएं बालपेट आकर दम तोड़ देती हैं

सांसद ने गांव को गोद तो ले लिया लेकिन, बीते पांच साल में इस गांव की उन्हें दो बार ही याद आई. दिनेश कश्यप के गोद लिये गए इस आदर्श गांव में क्या कुछ बदला है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची.

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Published : Apr 1, 2019, 4:33 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

सांसद आदर्श गांव

सांसद आदर्श ग्राम बालपेट
बस्तर : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों का विकास करने के लिए 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत सांसदों को अपने क्षेत्र के गांवों को गोद लेना था. इसके तहत सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र के कम से कम एक गांव को 2016 तक पूरी तरह विकसित करने का लक्ष्य दिया गया था. इसी के तहत बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बालपेट गांव को गोद लिया था. यह गांव 8 पारा में बंटा है, जिसकी कुल आबादी 15 सौ के करीब बताई जाती है.

ग्रामीण बताते हैं उनके सांसद ने गांव को गोद तो ले लिया लेकिन, बीते पांच साल में इस गांव की उन्हें दो बार ही याद आई. दिनेश कश्यप के गोद लिये गए इस आदर्श गांव में क्या कुछ बदला है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची. जब टीम गांव पहुंची तो दिखा कि, जिन योजनाओं के लिए केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, सांसद आदर्श ग्राम में सबसे ज्यादा उन्हीं मूलभूत सुविधाओं की कमी है. गांव के ज्यादातर घरों में शौचालय और पीने के पानी की किल्लत है. कुछ घरों में शौचालय तो हैं, लेकिन उसकी हालत ऐसी है कि लोग वहां मजबूरी में भी न बैठ सकें. गांव तक बिजली तो पहुंची है, लेकिन ट्रांसफार्मर न होने से लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है.

ग्रामीण बताते हैं बस्तर सांसद दिनेश कश्यप बीते पांच सालों में दो बार ही इस गांव में आए हैं. ग्रामीणों ने उनको पत्र लिखकर और कई बार उनसे मिलकर मौखिक रूप से गांव की सड़कों के बारे में बताया, लेकिन सांसद दिनेश कश्यप के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. बालपेट गांव में रहकर बच्चे 10वीं तक की ही पढ़ाई कर पाते हैं, 12वीं तक की शिक्षा के लिए छात्रों के 12 से 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस गांव के हालात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 15सौ लोगों की आबादी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं है. गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी है या ग्रामीण को वक्त वे वक्त बड़े शहरों में जाकर इलाज का विकल्प ढूंढना पड़ता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

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