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Baster News : बस्तर के वीर श्रवण कश्यप पर देश को नाज

छत्तीसगढ़ के वीर जवान को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजापुर टेकुलगुड़ा में नक्सली पुलिस मुठभेड़ में शहीद हुए जवान श्रवण कश्यप को सम्मानित किया है. इस सम्मान के मिलने पर शहीद की पत्नी गौरवान्वित महसूस कर रही है.

Story of Bastar Martyr Veer Shravan Kashyap
बस्तर का वीर श्रवण कश्यप

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Published : May 19, 2023, 6:15 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

शहीद श्रवण कश्यप की कहानी

बस्तर : छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग बीते 4 दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. इन 4 दशकों में बस्तर संभाग से कई जवानों की मौत नक्सली मोर्चे पर हुई है. देश के जवानों ने अपनी निष्ठा और समर्पण के साथ देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान किया है. 2021 में बस्तर संभाग के बीजापुर टेकुलगुड़ा में नक्सली और जवानों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई थी. जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे. शहीद हुए 22 जवानों में एक शहीद जवान श्रवण कश्यप बस्तर जिले के हैं. जिनके परिवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है.

कहां रहता है शहीद जवान का परिवार :शहीद जवान श्रवण कश्यप का निवास बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से 25 किलोमीटर दूर पिछड़ा इलाका बनियागांव में मौजूद हैं. इस गांव में दाखिल होते ही मुख्य मार्ग में शहीद जवान श्रवण कश्यप की प्रतिमा दिखेगी. जिस पर शहीद श्रवण कश्यप जिंदाबाद लिखा है. शहीद के घर में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था. घर में शहीद की पत्नी, 2 छोटे बच्चे और झुर्रियों से भरी आंखें आज भी श्रवण का इंतजार कर रहे हैं.


कीर्ति चक्र को लेकर कही बड़ी बात : शहीद जवान की पत्नी दुतिका कश्यप कीर्ति चक्र सम्मान को लेकर कहा कि '' वे गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके पति जीवित रहते और ये चक्र उनके सीने में लगता तो और भी ज्यादा गर्व महसूस होता. दुनिया भी देखती कि उनके पति को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. जब वे अपने ड्यूटी से लौटते थे तो उनके लिए साड़ी और बच्चों के लिए खिलौने लेकर आते थे. जब श्रवण, नक्सल ऑपरेशन पर निकलते थे तो कहते थे कि ज्यादा खतरा नहीं है. क्योंकि 150-200 की संख्या में जवान ऑपरेशन पर निकलते है. उनके ससुर के मृत्यु के बाद वो डरने लगती थी. जिसके बाद उन्हें कहते थे कि डरना नहीं मैं वापस जरूर आऊंगा.''

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पति के बाद अब बच्चों के लिए जी रहीं जिंदगी :इसके साथ शहीद जवानों की पत्नियों और परिवारों को अपील करते हुए दुतिका ने कहा कि '' केवल रोना और दुःख में नहीं रहना है.हिम्मत के साथ आगे बढ़कर अपने और अपने बच्चों का भविष्य बनाएं." दुतिका की जॉब आदिवासी विकास विभाग में लगी है. जहां वे प्यून के पद पर जिले में बकावंड ब्लॉक में तैनात हैं. इसके साथ ही उनके 7 साल के बेटे का जॉब भी लग गया है. जिसे बाल आरक्षण में रखा गया है. बेटे की उम्र 18 वर्ष होने पर वो पूरी तरह से काम में लग जाएगा. बेटे को 12 हजार रुपये की राशि प्रतिमाह मिलती है. जवान की पत्नी को सरकार ने मुआवजा भी दिया है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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