जगदलपुर:नगर निगम के अंतर्गत करोड़ों रुपए की लागत से शहर के बालिकोंटा में बनाए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम 3 साल में भी 50% पूरा नहीं हो सका है. काम शुरू हुए 4 साल बीतने को है. बावजूद इसके अब तक इस प्लांट के लिए सबसे महत्वपूर्ण 10 किलोमीटर के पाइप लाइन और 11 स्टॉप डैम का काम पूरा नहीं हो सका है. हालांकि बस्तर कलेक्टर का कहना है कि आने वाले एक-दो माह में प्लांट को पूरी तरह से तैयार कर लिया जाएगा.
जगदलपुर में 4 साल बाद भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम अधूरा - sewerage treatment plant
जगदलपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम आधा भी पूरा नहीं हो सका है. यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट 65 करोड़ की लागत से बन रहा है. हालांकि कोरोना काल के चलते 1 साल तक काम प्रभावित हुआ था. बावजूद इसके काम को शुरू हुए 4 साल बीत चुके हैं लेकिन इस प्लांट को पूरा करने को लेकर अब तक काम में रफ्तार नहीं आया है.
दरअसल शहर के 11 बड़े नालों का पानी दलपत सागर और इंद्रावती नदी में नहीं जाए. इसके लिए नगर निगम के द्वारा शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर बालिकोंटा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. 65 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को 4 साल पूर्व साल 2017 में शुरू करवाया गया था. लेकिन काफी धीमी गति से काम चलने की वजह से अब तक प्लांट का आधा काम भी पूरा नहीं हो सका है. कुछ ही दिन पहले इस निर्माण कार्य का जायजा लेने बस्तर कलेक्टर भी बलिकोंटा पहुंचे हुए थे.
वहीं प्लांट के निरीक्षण के दौरान धीमी गति से चल रहे कार्य को लेकर उन्होंने नाराजगी भी जताई और अमृत मिशन के नोडल अधिकारी को शो कॉज नोटिस देने का भी निर्देश नगर निगम के आयुक्त को दिया. साथ ही किसी भी स्थिति में आने वाले एक-दो माह के अंदर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा कराकर ट्रायल चालू करने के लिए निर्देश दिए. कलेक्टर ने कंपनी के अधिकारियों और निगम के नोडल अधिकारियों को भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने की चेतावनी भी दी. दरअसल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में 20×40 मीटर की चार टंकी का निर्माण एस.बी.आर बेसिन, 6 इयर वॉलर मशीन, सब स्टेशन, एमपीएस प्लांट बनाया जाना है.
जानकारी के मुताबिक अब तक इस निर्माण कार्य में 6 स्टॉप डेम बनाया गया है तो पाइप लाइन भी केवल 2 किलोमीटर तक ही बिछ पाई है. निगम के अधिकारियों ने बताया कि नालों का निर्माण शहर में अलग-अलग जगहों पर किया जा रहा है. जहां से पाइप लाइन के माध्यम से इसे बॉलिकोंटा में बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाना है. निगम के अधिकारी भी जल्द से जल्द इस काम को पूरा कर लेने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आलम यह है कि बीते 4 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम कछुआ गति से चलने की वजह से अधूरा पड़ा है.