जगदलपुर: बतौर वित्त मंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ का दूसरा बजट पेश किया. भूपेश सरकार के पेश किए गए बजट पर लोगों ने कहा कि इस बार भी बस्तर की उपेक्षा की गई है और बस्तर को कोई विशेष पैकेज इस बार भी नहीं मिला.
बजट पर बस्तरवासियों की राय बस्तरवासियों ने उम्मीद जताई थी कि इस बार के बजट में बस्तर को सड़क, शिक्षा और स्वास्थ सुविधा के विस्तार के लिए विशेष पैकेज मिलेगा, लेकिन इस बार भी बस्तर की उपेक्षा की गई है.
बस्तर के स्थानीय लोगों का कहना है कि 'इस बजट में पुलिस प्रशासन को जरूर राहत मिली है. स्थानीय पुलिसकर्मियों के लिए 1000 आवास की सुविधा और बस्तर रेंज में साइबर सेल थाना खोले जाने की घोषणा के साथ ही बस्तर के किसानों को धान बेचने का लाभ जरूर मिला है, लेकिन बस्तर के मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इस बजट में कुछ खास घोषणा नहीं की गई है'.
लोगों ने कहा कि 'खासकर शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी और प्रोफेसर की कमी से जो बस्तर में शिक्षा के हालात है उस पर कुछ विशेष पैकेज नहीं दिया गया'.
नहीं पूरा हुआ फोरलेन का काम
जिस तरह से अंदरूनी क्षेत्रों में सड़क की जर्जर हालत है और राष्ट्रीय राजमार्ग जगदलपुर से रायपुर तक जो फोरलेन बनाई जा रही है. वह 2 साल बाद भी पूरी नहीं हो सका है. इसके चलते राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल
इसके अलावा संभाग के सबसे बड़े अस्पताल के निर्माण में करोड़ों फूंक तो दिए गए हैं लेकिन लगातार अस्पताल संसाधनों की कमी से जूझ रहा है और यहीं वजह है कि ग्रामीणों को सही इलाज भी नहीं मिल पा रहा है और वह मजबूर होकर इलाज के लिए रायपुर या विशाखापट्टनम जा रहे हैं.
लोगों का कहना है कि 'जगदलपुर से रायपुर फोरलेन का निर्माण कार्य अधूरा ही है बावजूद इसके 3 टोल प्लाजा इस मार्ग में लगा दिया गया है और यहां अवैध रूप से वसूली की जा रही है. जिससे स्थानीय बस संचालकों और राहगीरों को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है'.
विशेष पैकेज की रहती है आस
हमेशा से ही उम्मीद जताई जाती है कि राज्य सरकार के बजट में बस्तर को विशेष पैकेज जरूर मिलेगा और आदिवासियों के उत्थान के लिए खासकर आदिवासी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कुछ खास घोषणा की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी इस बजट में बस्तर की उपेक्षा की गई है और सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है. बस्तर के व्यापारियों, छात्रों और आदिवासी युवाओं को किसी तरह का कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाया है.