जगदलपुर: लंका कुच से पहले जिस तरह देश के दक्षिणी छोर पर समुद्र किनारे स्थित रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी. उसी तरह उत्तर से दक्षिण भारत में प्रवेश से पहले भगवान श्रीराम ने बस्तर जिले के रामपाल गांव में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी. रामपाल मंदिर जगदलपुर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग प्रभु राम द्वारा स्थापित की गई है. दक्षिण प्रवेश से पहले राम ने रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भू देवी की आराधना की थी. छत्तीसगढ़ शासन अपने नए पर्यटन सर्किट में और रामवन गमन पथ में रामपाल मंदिर को भी शामिल कर इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है.
लिंगेश्वर शिवलिंग की स्थापना
कहते हैं भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान रामपाल में लिंगेश्वर शिवलिंग की स्थापना की थी. इसकी पुष्टि दिल्ली के श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान के विशेषज्ञों ने भी की है. यह शोध संस्थान पिछले 50 साल से श्रीराम के वनवास पर शोध कर रहे हैं. इस शोध में यह जानकारी मिली है. गांव के जानकार बताते हैं कि इस इस गांव के सभी लोग भगवान राम और शिव भगवान की पूजा करते हैं. यहां स्थित लिंगेश्वर शिव मंदिर कई मान्यताओं और दंत कथाओं से जुड़ा हुआ है. जानकार महेश कश्यप बताते हैं, उनके पूर्वज करीब डेढ़ सौ साल से इस लिंगेश्वर शिव की पूजा करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान यह शिवलिंग की प्राप्ति हुई है. जमीन के अंदर खुदाई कराने से शिवलिंग का अंत नहीं मिला. खुदाई के दौरान जमीन के अंदर ऊपरी सतह की अपेक्षा शिवलिंग की मोटाई अधिक पाई गई और आजतक इस शिवलिंग का कोई अंत नहीं मिला है.
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यहां से गुजरे थे भगवान राम
महेश कश्यप ने बताया कि पुरानी किवदंतियों के अनुसार वनवास के दौरान भगवान भगवान राम लंबे समय तक बस्तर दंडकारण्य में रहे हैं. इस दौरान बस्तर संभाग के कई क्षेत्रों का भ्रमण करने के दौरान भगवान राम रामाराम चिटमिट्टिन मंदिर सुकमा और इंजरम, कोंटा होते हुए रामपाल से होकर गुजरे हैं.
दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु ब्रिटिश राज्यपाल ने चढ़ाई थी घंटी
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए जब परिसर की खुदाई की जा रही थी तो इस दौरान यहां से पुरानी ईंटें, पत्थर और 1 घंटी मिली है. इस घंटी में 1860 लंदन लिखा हुआ है. शोधकर्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन ब्रिटिश राज्यपाल ने यह घंटी मंदिर में चढ़ाई थी. पुरातात्विक विभाग ने ईंट और पत्थरों का सैंपल भी लिया है. ग्रामीण बताते हैं, शोध में यह पुष्टि हुई है कि लिंगेश्वर शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री राम ने ही की है.
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मंदिर में लगता है भक्तों का तांता
महाशिवरात्रि के दौरान हर साल हजारों की संख्या में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. दूर दराज से ग्रामीण और शहरी लोग भगवान लिंगेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. टेंपल कमेटी के द्वारा भी महाशिवरात्रि के दौरान 3 दिनों का भव्य आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में दूर-दराज से लोग शामिल होने पहुंचते हैं. गांव के सरपंच ने बताया कि दादा परदादा के समय से उनका परिवार और गांव के पूरे परिवार लिंगेश्वर स्वामी की उपासना करते आ रहे हैं. यहां खुदाई के दौरान मिले बड़े-बड़े ईंट से यह प्रमाणित होता है कि भगवान श्रीराम द्वारा भोलेनाथ की उपासना के बाद तत्कालीन राजा महाराजाओं ने इस मंदिर को संजोकर रखा था. यह पूरा इलाका जंगल क्षेत्र था और धीरे-धीरे ग्रामीण परिवेश के बाद जब यहां खुदाई की गई तो शिवलिंग के दर्शन हुए. तब से यहां के ग्रामीण पूरे गांव से चंदा इकट्ठा कर हर साल शिवरात्रि के दौरान यहां भव्य रूप से भगवान की पूजा पाठ करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अब राज्य सरकार द्वारा इसे राम वन गमन पथ में भी शामिल किए जाने से निश्चित रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो सकेगा. इस क्षेत्र को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने से देश दुनिया के लोग जान सकेंगे. श्रद्धालुओं की भी रामपाल के शिव मंदिर में काफी आस्था है. श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान श्रीराम ने खुद ही यहां पर शिव की उपासना की थी. मान्यता है कि साक्षात भगवान यहां निवास करते हैं.
भगवान राम द्वारा स्थापित की गई शिवलिंग राम वन गमन पथ में शामिल हुआ मंदिर
छत्तीसगढ़ में भगवान श्री राम के वन गमन पथ पर पड़ने वाले 75 स्थानों को चिन्हित किया गया है. इनमें से पहले चरण में उत्तर में स्थित कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा के रामाराम तक 9 स्थानों का चयन किया गया है. इन स्थानों के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए प्रदेश सरकार 137 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च करने जा रही है. अब भगवान राम द्वारा रामपाल में स्थापित शिवलिंग के रामायणकालीन होने की पुष्टि विद्वानों और शोध संस्थाओं के द्वारा करने के बाद और इससे संबंधित रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपे जाने के बाद सरकार ने भी इस क्षेत्र और रामपाल मंदिर के विकास की योजना को पर्यटन सर्किट में शामिल कर लिया है.