जगदलपुर: बस्तर में हर साल मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. शहर के जगन्नाथ मंदिर में पर्व को मनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है. 24 जून से शुरू हुआ महापर्व आगामी 20 जुलाई तक चलेगा. 11 जुलाई को नेत्र उत्सव मनाया जाएगा. गोंचा रथ यात्रा का शुभारंभ 12 जुलाई को किया जाएगा. इस बार गोंचा महापर्व समिति ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) को भी इस पर्व में शामिल होने के लिए न्योता दिया है.
बस्तर में गोंचा महापर्व की तैयारियां बस्तर में 614 सालों से गोंचा महापर्व (Goncha Mahaparv ) धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर बस्तर में तीन विशालकाय रथ की यात्रा की जाती है. जिसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को रथ में शहर का भ्रमण कराया जाता है. इस महापर्व में हर साल सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु बस्तर संभाग के अलावा दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं. हालांकि पिछले साल कोरोनाकाल की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या जरूर कम हुई लेकिन समाज के लोगों ने गोंचा पर्व की सभी रस्मों (Gonchaparva Rituals) को धूमधाम से पूरा किया. हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ मंदिर (Lord Jagannath Temple in jagdalpur) में तैयारियां शुरू कर दी गई है. कारीगर नए रथ (Chariot) का निर्माण कर रहे हैं.
भगवान जगन्नाथ की जन्मस्थली श्री गुंडिचा मंदिर
शासन-प्रशासन से गोंचा पर्व की अब तक नहीं मिली अनुमति
आरण्यक ब्राह्मण समाज ने जिला प्रशासन से कोरोना (corona) के सारे नियमों का पालन कर रथयात्रा (Chariot Festival ) निकाली जाने की बात कही है. आरण्यक ब्राह्मण समाज की महिला अध्यक्ष दीप्ति पांडे ने बताया कि इस पर्व को मनाने के लिए समिति की तरफ से जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. कोरोना की वजह से इस साल भी श्रद्धालुओं की कम संख्या की उपस्थिति में ही सारी रस्मों को पूरा किया जाएगा. दीप्ति पांडे ने बताया कि गोंचा रथ यात्रा के लिए समाज की ओर से जिला प्रशासन से अनुमति मांगी गई है, लेकिन अब तक जिला प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं मिल पाई है. हालांकि उनका कहना है कि पिछले वर्ष भी जिला प्रशासन से मिली अनुमति के बाद रथ यात्रा की रस्म निभाई गई थी. अनुमति मिलने के बाद पूरे नियमों को ध्यान में रखते हुए और सावधानी बरतते हुए सभी रस्मों को निभाया जाएगा.
गोंचा पर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हो सकते हैं शामिल
दीप्ति पांडे ने बताया कि समाज की ओर से चंदन जात्रा की रस्म समिति के कुछ ही सदस्यों की उपस्थिति में निभाई गई. इसके लिए इंद्रावती नदी (indravati river) से जल लाकर भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक किया गया. आगामी 11 जुलाई को नेत्र उत्सव (netr utsav) मनाया जाएगा और 12 जुलाई को रथ यात्रा (Rath Yatra on 12th July) निकाली जाएगी. उन्होंने कहा कि हर साल इस पर्व को नए उत्साह से मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं लेकिन कोरोना की वजह से इस साल भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे. उन्होंने अनुमान जताया है कि इस महापर्व में इस बार मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं. इसके लिए गोंचा पर्व समिति की ओर से तैयारियां की जा रही है.