जगदलपुर :दुनिया में सबसे लंबे वक्त तक चलने वाले विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व की शुरूआत हो चुकी है. 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा पर्व की सबसे प्रमुख परंपरा है रथ परिक्रमा.
बस्तर दशहरा: शुरू हुआ रथ निर्माण, सिर्फ इन आदिवासियों को है ये अधिकार - bastar dussehra
75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा के लिए रथ की तैयारी शुरू हो गई है. इस रथ की खास बात यह है कि इसे आदिवासियों द्वारा विशेष प्रक्रिया से निर्माण किया जाता है.
रथ परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इसी रथ पर दंतेश्वरी देवी की सवारी को बैठाकर शहर की परिक्रमा कराई जाती है. लगभग 30 फीट ऊंचे इस विशालकाय रथ को परिक्रमा कराने के लिए 4 सौ से अधिक आदिवासियों की जरूरत पड़ती है. बस्तर दशहरा को देखने के लिए देश-विदेश से अनेक सैलानी यहां पहुंचते हैं.
इस विश्व प्रसिद्ध पर्व मे खींचे जाने वाले रथ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. रथ बनाने की यह प्रक्रिया भी काफी विशेष होती है. क्या होता है खास जानिए-
- परंपरा के मुताबिक रथ निर्माण की प्रक्रिया स्थानीय गांवों के विशेष वर्गों में बंटी होती है.
- रथ बनाने के लिए जिन लकड़ियों को इस्तेमाल किया जाता है, उसे एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा लाया जाता है.
- इस लकड़ी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है.
- 600 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस रथ का निर्माण बस्तर जिले में स्थित बडेउमर और झाडउमर गांव के ही ग्रामीण आदिवासियों द्वारा होता है.
- आदिवासी 15 दिनों में इन लकड़ियों से विशालकाय रथ का निर्माण करते हैं.
- इस रथ को बनाने के लिए 150 से अधिक ग्रामीण, कारीगर स्थानीय सीरासार भवन में ठहरकर 15 दिनों के भीतर ही तैयार कर लेते हैं.
- विजयदशमी के दिन बस्तर की आराध्य देवी मांई दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ कर शहर में परिक्रमा लगाई जाती है.