जगदलपुर: गोंचा पर्व की शुरुआत जगदलपुर में हो चुकी है. इस पर्व के लिए जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर विशालकाय रथ का निर्माण जगदलपुर के सिरहासार में किया जा रहा है. जिसे ग्रामीण कारीगर बना रहे हैं. इस पर्व को मनाने के लिए 360 घर के आरण्यक ब्राह्मण जुटे हैं. इसके साथ ही टेंपल कमेटी के सदस्य भी इस पर्व को सफल बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. इस बार गोंचा पर्व में सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हो सकते हैं.
गोंचा पर्व का है ऐतिहासिक महत्व:दरअसल, गोंचा पर्व बस्तर का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है. इसकी कहानी रियासत काल से जुड़ी हुई है. करीब 600 सालों से यह परम्परा निरंतर चली आ रही है. सन 1408 में बस्तर के महाराजा पुरुषोत्तम देव भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने जगन्नाथव पुरी गए हुए थे. जहां उन्हें रथपति की उपाधि मिली और उन्हें 16 चक्कों की विशालकाय रथ भेंट में मिली. जिसके बाद रथ लेकर महाराजा बस्तर पहुंचे थे.
"2023 में यह पर्व धूमधाम से मनाने की तैयारी है. 4 जून को भगवान जगन्नाथ का देव स्नान हुआ. जिसके बाद उन्हें मुक्ति मंडप में रख दिया गया है. 19 तारीख को भगवान जगन्नाथ स्वस्थ हो जाएंगे. उस दिन नेत्र उत्सव का कार्यक्रम रखा जाएगा. 20 जून को नवनिर्मित रथ में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को रथारूढ़ करके जगन्नाथ मंदिर से जनकपुरी सिरहासार तक रथ परिक्रमा करवाया जाएगा."- वनमाली प्रसाद पाणिग्राही, सदस्य, मंदिर कमेटी