जगदलपुर: प्रदेश के ज्वलनशील मुद्दों में से एक बस्तर के नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण का भी है. राज्य सरकार ने इसे खरीदने की इच्छा जाहिर करते हुए विधानसभा में सर्वसम्मति से शासकीय संकल्प पत्र पारित कर दिया है. जिसके बाद बस्तर में यह मुद्दा गरमाया हुआ है. बीते 28 दिसंबर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरनार स्थित NMDC स्टील प्लांट को लेकर उसमें निवेश की इच्छा जाहिर की थी. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार का कहना है कि अगर भारत सरकार इसके निजीकरण के बारे में सोचती है, तो हम उसे खरीदेंगे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हम इस प्लांट को किसी प्राइवेट सेक्टर के हाथों में नहीं जाने देंगे. अगर केंद्र सरकार इसके निजीकरण की योजना बनाती है, तो छत्तीसगढ़ सरकार इसे खरीदेगी. इधर सर्व आदिवासी समाज और एनएमडीसी यूनियन कर्मचारी संघ ने सरकार की घोषणा का स्वागत किया है.
मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद बस्तर में सियासत गरमाई हुई है. दरसअल यहां के भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार के पास जब किसानों से धान खरीदने के लिए बारदाने के पैसे नहीं हैं, ऐसे में सरकार लाखों-करोड़ों रुपये के एनएमडीसी स्टील प्लांट को कैसे खरीदेगी. ये बहुत बड़ा प्रश्न है. हालांकि मुख्यमंत्री के सदन में घोषणा के बाद पिछले अक्टूबर महीने से एनएमडीसी स्टील प्लांट के बाहर धरने पर बैठे यूनियन कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
कर्मचारी संघ में खुशी
निजीकरण के खिलाफ मुख्यमंत्री के इस कदम पर कर्मचारी संघ ने अपनी खुशी जाहिर की है. कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 2 महीने से कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठा है, लेकिन केंद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्रियों, एनएमडीसी के अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार कर्मचारियों के साथ लगातार खड़ी हुई है. प्लांट के डीमर्जर का विरोध कर रही है. जिस तरह से मुख्यमंत्री ने विधानसभा में एनएमडीसी स्टील प्लांट के निवेश की इच्छा जाहिर की और प्लांट को छत्तीसगढ़ शासन के अंतर्गत चलाए जाने की बात कही, इसका प्लांट के स्थानीय कर्मचारी स्वागत कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर इस प्लांट का निजीकरण होने नहीं दिया जाएगा. इसके लिए जब तक उन्हें आंदोलन करना पड़े, तब तक वे आंदोलन करते रहेंगे.
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एनएमडीसी प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप
वहीं इस प्लांट को लगाने के लिए अपनी जमीन देने वाले भू-प्रभावितों ने कहा कि एनएमडीसी प्रबंधन ने किसानों को अपने भरोसे में लेकर उनकी जमीन ले ली. प्लांट में स्थनीय लोगों को नौकरी और भू-प्रभावितों को प्राथमिकता देने की बात कही, लेकिन जैसे ही मोदी सरकार ने इसके निजीकरण का एलान किया, तब से भू-प्रभावितों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है. ऐसे में वे चाहते हैं कि इस प्लांट के निजीकरण को रोका जाए. साथ ही छत्तीसगढ़ शासन इसका संचालन करे. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही बस्तरवासियों का हित हो सके.
नौकरी के नाम पर छलावा!