जगदलपुर:छत्तीसगढ़ के बस्तर को नक्सल गढ़ कहा जाता है, लेकिन इन दिनों नक्सली बैकफुट पर हैं. नक्सल मोर्चे पर तैनात जिला पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है. माओवाद की खोखली विचारधारा से तंग आकर कई नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. साथ ही लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर नक्सली लाल आतंक को अलविदा कह रहे हैं. इससे बौखलाए नक्सली बस्तर जिले के अंदरुनी इलाकों में अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में जुट गए हैं. तिरिया के माचकोट इलाके में नया पुलिस कैंप खोल दिया गया है. इससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है.
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बस्तर जिले में बीते कुछ वर्षों से नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पाए हैं, लेकिन लगातार जिले के कई अंदरुनी इलाकों में अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी जद्दोजहद में जुटे हुए हैं. बस्तर जिले के तिरिया माचकोट इलाके में नक्सलियों की सक्रियता की जानकारी पुलिस को मिल रही है, जिसे देखते हुए पुलिस विभाग ने तिरिया गांव में एक नया पुलिस कैंप खोला है, जिससे नक्सली इलाकों में सक्रिय न हो सके. पुलिस पिछले कुछ महीनों से लगातार नक्सलियों की सूचना मिल रही थी, जिसके बाद कैंप को खोला गया.
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ग्रामीणों की मांग पर नया पुलिस कैंप खोला गया
बस्तर जिले का तिरिया गांव पड़ोसी राज्य ओडिशा से लगा हुआ है. पिछले कुछ महीनों से नक्सली लगातार अपनी पैठ मजबूत करने इस इलाके में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे देखते हुए बस्तर पुलिस ने तिरिया गांव में ग्रामीणों की मांग पर एक नया पुलिस कैंप खोला है. इस कैम्प का निरीक्षण करने के लिए खुद बस्तर आईजी, एसपी, कलेक्टर समेत विधायक भी तिरिया गांव पहुंचे. पुलिस के आला अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने कैम्प का निरीक्षण किया. साथ ही सुरक्षा संबंधी जानकारी तैनात जवानों से ली.
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ओडिशा के साथ ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों पर लगाम लगाने की तैयारी
बस्तर एसपी ने बताया कि कैंप अभी निर्माणाधीन है. साथ ही धीरे-धीरे कैम्प को पूरी तरह से बनाया जा रहा है. फिलहाल अभी कैम्प में डीआरजी के 50 जवानों की तैनाती की गई है, जो गांव की सुरक्षा के साथ आसपास के इलाकों में सर्चिंग भी करते हैं. इधर तिरिया गांव में पुलिस कैंप खुल जाने से ग्रामीणों में भी काफी खुशी है. ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों से सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने अपने गांव में कैंप खोलने की मांग की थी. अब कैंप खुल जाने से उन्हें पिछले जैसे नक्सलियों का भय नहीं है. फिलहाल बस्तर जिले में तिरिया का ही क्षेत्र सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित है. इस गांव में पुलिस कैंप खुलने से ग्रामीणों के बीच फैली नक्सलियों की दहशत तो कम होगी. साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा के साथ ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों पर लगाम भी लगाया जा सकेगा.
छत्तीसगढ़ में नक्सल वारदात
- 11 सितंबर को नक्सलियों ने बीजापुर में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के रेंजर की हत्या कर दी.
- 10 सितंबर को दो परिवारों को गांव से बाहर निकालने का फरमान सुनाया है. इसमें एक पुलिस कर्मी का परिवार भी शामिल है.
- 5 सितंबर को नक्सलियों ने बीजापुर के गंगालूर इलाके में 4 ग्रामीणों की हत्या कर दी है.
- 3 सितंबर को दंतेवाड़ा के हिरौली इलाके में नक्सलियों ने 2 युवकों की हत्या कर दी है.
- 30 अगस्त को बीजापुर में नक्सलियों ने एक एएसआई की हत्या कर दी.
- 8 अप्रैल को सुकमा के फूलबागड़ी में एक युवक की नक्सलियों ने हत्या की.
- 15 जुलाई को कुकानार थाना क्षेत्र के कुटरू गांव में एक युवक की हत्या.
5 साल में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की गई जान
पिछले 5 साल में प्रदेश भर में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 314 आम लोग भी शामिल हैं. इनका नक्सल आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था. वहीं 220 जवान शहीद हुए हैं साथ ही 466 नक्सली भी मुठभेड़ में मारे गए हैं.