जगदलपुर: बस्तर की राजनीति में तीन परिवारों का पिछले 40 सालों से दबदबा बना रहा है. कांग्रेस में मानकुराम सोढ़ी और महेंद्र कर्मा तो भाजपा में बलिराम कश्यप ऐसे वटवृक्ष थे जिनके नीचे कभी कोई नये पौधे पनप ही नहीं पाए. बस्तर की राजनीति चार दशक तक इन्हीं परिवारों के इर्दगिर्द परिक्रमा लगाती रही है. इससे इस धारणा ने जड़ें जमा ली कि इन परिवार और उनके वंशजों का बस्तर की राजनीति में कोई विकल्प नहीं है.
राजनीति में परिवर्तन हुआ है
इस मिथक को इस लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टी के आलाकमान ने ध्वस्त कर दिया है. बस्तर के राजनीतिक विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार संजय पचौरी का कहना है कि इन दो नए प्रत्याशियों को टिकट दिए जाने से निश्चित तौर पर बस्तर की राजनीति में परिवर्तन हुआ है और वंशवाद को दर किनार कर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही बस्तर में नया दांव खेला है.
बैदुराम कश्यप को मिला टिकट
कांग्रेस ने पूर्व सांसद और मंत्री रहे मानकु राम सोढ़ी और पूर्व सांसद एवं मंत्री रहे महेंद्र कर्मा के परिवार से उनके बेटों की दावेदारी को अलविदा कहते हुए चित्रकोट के युवा विधायक दीपक बैज को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है. वहीं बस्तर भाजपा के माटी पुत्र समझे जाने वाले बलीराम कश्यप के बेटे सिटिंग सांसद दिनेश कश्यप को किनारे करते हुए पूर्व विधायक बैदुराम कश्यप को टिकट देकर राजनीतिक समीक्षकों को चौंका दिया है.
किसान परिवारों से संबंध
यहां यह बताना जरूरी है कि कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज और भाजपा प्रत्याशी बैदूराम कश्यप के परिवार की कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है. दोनों ही साधारण किसान परिवारों से आते हैं और राजनीति में उनकी यह पहली खुद ही पीढ़ी है. दोनों ने ही अपने खुद के प्रयास और मेहनत से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है. ऐसा माना जाता रहा है कि बस्तर की राजनीति में बलीराम कश्यप परिवार और महेंद्र कर्मा परिवार का कोई भी विकल्प नहीं है. लेकिन इस बार कांग्रेस और भाजपा ने टिकट वितरण में दोनों के ही विकल्प सामने ला दिए हैं.