जगदलपुर: बस्तर को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. बस्तर के कई गांव पिछले कई दशक से 'लाल आंतक' का दंश झेल रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पुलिस जवानों की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने नक्सलियों को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया. पिछले तीन महीने में जवानों ने 10 हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया है. 89 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, वहीं 26 ने सरेंडर किया है. नक्सलियों को लगातार हो रहे नुकसान के बाद संगठन अब नए 'नेता' की तलाश में है.
दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के खाली पड़े सचिव पद पर नई नियुक्ति करने के लिए बस्तर में नक्सली लगातार मंथन कर रहे हैं. यही वजह है कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार नक्सलियों की बड़ी बैठकें भी आहूत की जा रही हैं. बीते दिनों सुकमा और बीजापुर के सीमा क्षेत्र में नक्सलियों की बैठक हुई और मुद्दा था कि आखिर किसे रमन्ना के स्थान पर संगठन की कमान सौंपी जाए. इधर बस्तर पुलिस ऐसे समय का फायदा उठाकर नक्सलियों पर दोहरा दबाव बनाने ऑपरेशन मानसून तेज कर दिया है.
बैकफुट पर आए नक्सलियों को 'लीडर' की तलाश
बस्तर आईजी ने बताया कि दिसंबर 2019 में स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव रमन्ना की मौत के बाद विगत छह सात महीनों से बस्तर में कमजोर पड़ रहे नक्सली संगठन को मजबूत करने नक्सली लगातार प्रयास कर रहे हैं. वहीं पुलिस ने बीते 3 महीनों में नक्सलियों को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसे देखते हुए अब नक्सली बस्तर में संगठन की कमान जल्द किसी को सौंपने की तैयारी में है.
SPECIAL: लॉकडाउन में नक्सलियों को चौतरफा नुकसान, भारी पड़े जवान
अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की बैठक जारी
आईजी ने बताया कि लंबे समय से बस्तर की कमान बाहरी नक्सलियों को मिलती रही है. ऐसे में इस बार नेतृत्व को लेकर नक्सलियों में आपसी खींचतान भी बढ़ गई है और नक्सलियों का स्थानीय कैडर इस बार नेतृत्व बस्तर के किसी नक्सली नेता को देने की मांग कर रहा है. पुलिस को जानकारी मिली है कि इस बात बाहरी और स्थानीय नेता को लेकर नक्सल संगठन में विवाद की स्थिति बन रही है. नक्सली इस विवाद को खत्म कर खाली पड़े सचिव पद की नियुक्ति के लिए अंदरूनी इलाकों में बैठके भी कर रहे हैं.