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SPECIAL: नक्सल'गढ़' में खींचतान, किसे मिलेगी दंडकारण्य की कमान ?

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Published : Jul 6, 2020, 11:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर में लगातार नक्सलियों को हो रहे नुकसान के बाद और दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के खाली पड़े सचिव पद पर नए नियुक्ति करने के लिए बस्तर में नक्सली लगातार मंथन कर रहे हैं. वहीं पुलिस विभाग ने भी 'लाल आंतक' के साथ छिड़ी लड़ाई में अपने 2 जवानों की आहुति दी है. जवानों के कार्रवाई से घबराय नक्सलियों ने अब नक्सलगढ़ के लिए नेता की तलाश शुरू कर दी है.

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पुलिस कर रही नक्सलियों का इंतजार !

जगदलपुर: बस्तर को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. बस्तर के कई गांव पिछले कई दशक से 'लाल आंतक' का दंश झेल रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पुलिस जवानों की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने नक्सलियों को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया. पिछले तीन महीने में जवानों ने 10 हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया है. 89 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, वहीं 26 ने सरेंडर किया है. नक्सलियों को लगातार हो रहे नुकसान के बाद संगठन अब नए 'नेता' की तलाश में है.

किसे मिलेगी दंडकारण्य की कमान ?

दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के खाली पड़े सचिव पद पर नई नियुक्ति करने के लिए बस्तर में नक्सली लगातार मंथन कर रहे हैं. यही वजह है कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार नक्सलियों की बड़ी बैठकें भी आहूत की जा रही हैं. बीते दिनों सुकमा और बीजापुर के सीमा क्षेत्र में नक्सलियों की बैठक हुई और मुद्दा था कि आखिर किसे रमन्ना के स्थान पर संगठन की कमान सौंपी जाए. इधर बस्तर पुलिस ऐसे समय का फायदा उठाकर नक्सलियों पर दोहरा दबाव बनाने ऑपरेशन मानसून तेज कर दिया है.

बैकफुट पर आए नक्सलियों को 'लीडर' की तलाश

बस्तर आईजी ने बताया कि दिसंबर 2019 में स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव रमन्ना की मौत के बाद विगत छह सात महीनों से बस्तर में कमजोर पड़ रहे नक्सली संगठन को मजबूत करने नक्सली लगातार प्रयास कर रहे हैं. वहीं पुलिस ने बीते 3 महीनों में नक्सलियों को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसे देखते हुए अब नक्सली बस्तर में संगठन की कमान जल्द किसी को सौंपने की तैयारी में है.

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अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की बैठक जारी

आईजी ने बताया कि लंबे समय से बस्तर की कमान बाहरी नक्सलियों को मिलती रही है. ऐसे में इस बार नेतृत्व को लेकर नक्सलियों में आपसी खींचतान भी बढ़ गई है और नक्सलियों का स्थानीय कैडर इस बार नेतृत्व बस्तर के किसी नक्सली नेता को देने की मांग कर रहा है. पुलिस को जानकारी मिली है कि इस बात बाहरी और स्थानीय नेता को लेकर नक्सल संगठन में विवाद की स्थिति बन रही है. नक्सली इस विवाद को खत्म कर खाली पड़े सचिव पद की नियुक्ति के लिए अंदरूनी इलाकों में बैठके भी कर रहे हैं.

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'ग्रामीण अब सुरक्षाबलों का साथ दे रहे हैं'

बस्तर आईजी ने कहा कि बस्तर में नक्सलियों द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों को बरगलाने के उद्देश्य से सभाएं भी आयोजित की जाती रही हैं लेकिन अब बस्तर के ग्रामीण नक्सलियों की सच्चाई जान चुके हैं और यही वजह है कि वे अब सुरक्षा बलों का साथ दे रहे हैं.

नक्सलियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन जारी

आईजी के मुताबिक विगत कुछ वर्षों से कमजोर पड़ रहे नक्सलियों को बैकफुट पर लाने के लिए हर साल बरसात के समय ऑपरेशन मानसून चलाया जाता है. इस अभियान को तेज कर दिया गया है, जिसके तहत पुलिस के जवान बरसात के दिनों में भी अंदरूनी इलाकों में उफनती नदी नालों की बिना परवाह किए नक्सलियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन चला रहे हैं.

'ऑपरेशन मानसून के लिए खास ट्रेनिंग दी गई'

आईजी ने बताया कि हर साल ऑपरेशन मानसून के दौरान नक्सली संगठन को काफी नुकसान पहुंचा है. मानसून में ही कई नक्सलियों को मुठभेड़ के दौरान पुलिस के जवानों ने मार गिराया है. ऐसे में इस बार बस्तर में नेतृत्वहीन नक्सली संगठन को और कमजोर करने के लिए और पुलिस को इस बार ऑपरेशन मानसून में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिले इसके लिए खास ट्रेनिंग दी गई है. साथ ही ऑपरेशन को अंदरूनी इलाकों में तेज करने को कहा गया है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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