बस्तर:दक्षिण भारत में तबाही मचाने वाले मिचोंग चक्रवर्ती तूफान का असर अब छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है. छत्तीसगढ़ के कांकेर, धमतरी, कवर्धा के साथ बस्तर में भी पिछले दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है. बारिश के कारण आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से बस्तर में ठंडी हवाएं भी चलने लगी है. वहीं दूसरी ओर बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.क्योंकि इस बारिश के कारण किसानों का धान भी खराब होने लगा है.
छत्तीसगढ़ में मिचोंग तूफान ने मचाई तबाही, धान किसानों पर टूटा कहर, बस्तर में मचा त्राहि माम !
Michong cyclone effect in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में चक्रवाती तूफान मिचोंग का असर देखने को मिल रहे है. यहां के किसान धान को लेकर परेशान हैं. बेमौसम बारिश से धान खराब होने की चिंता किसानों को सताने लगी है. Cyclonic Storm Michong Updates
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Dec 6, 2023, 4:37 PM IST
बेमौसम बारिश का असर धान पर:ईटीवी भारत ने बस्तर के किसानों से बातचीत की. बातचीत के दौरान एक किसान ने बताया कि, "फसल काटकर अपने घर ले आए हैं. धान की मिसाई हो गई है. कई लोगों ने तो धान की मिसाई भी नहीं की है.मिसाई के बाद धान केन्द्रों में धान बेचने जाते हैं. लेकिन इस साल अचानक बारिश हो गई. बारिश के कारण घर में रखा धान भीग गया है. वैसे तो धान को तिरपाल से ढक दिए हैं. लेकिन बारिश इतनी तेज है कि तिरपाल के भीतर का धान भी भीग सकता है. अगर धान थोड़ा भी भीगा तो खराब हो जाएगा. नमी वाली धान बिकेगी भी नहीं. अगर धान में नमी रहेगी और धान को खरीदी केंद्र में लिया नहीं जाएगा तो हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी. धान लगाने के लिए हमने बैंक से लोन लिए थे. अब उसे चुकाने की चिंता सताने लगी है. हालांकि उम्मीद है कि भाजपा की सरकार धान खारब होने पर कर्ज माफी करेगी या फिर मुआवजा देगी. लेकिन पहले से हम कुछ कह नहीं सकते."
बारिश में धान को बचाना बड़ी चुनौती:बता दें कि छत्तीसगढ़ में धान तिहार चल रहा है. 30 जनवरी तक धान खरीदी केन्द्रों में किसान बायोमेट्रिक सिस्टम से धान बेचेंगे. छत्तीसगढ़ के अधिकतर किसानों ने धान कटाई कर लिया है. धान बेचने से पहले धान की मिसाई भी हो गई है. वहीं, बेमौसम बारिश के कारण धान खरीदी पर भी प्रभाव पड़ रहा है. बारिश के कारण किसान धान खरीदी केन्द्र पहुंच नहीं रहे. वहीं, धान को बारिश से बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.