जगदलपुर : बस्तर को कुपोषण मुक्त (malnutrition free) बनाने के लिए राज्य सरकार का सुपोषण अभियान (state government's nutrition campaign) कारगर साबित हो रहा है. लगातार बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत भी अब घटने लगा है. हालांकि अभी भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर कुपोषित बच्चे हैं, जिनका इलाज एनआरसी सेंटरों (NRC Center) में किया जा रहा है. जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था पहले से काफी दुरुस्त की गई है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को पोषण आहार भी मिल रहा है. इधर, जिला प्रशासन ने कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का लक्ष्य रखा है और आने वाले तीन से चार महीनों में कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का दावा भी किया है.
बस्तर में लंबे समय से है कुपोषण की समस्या
बस्तर में नक्सल समस्या के साथ-साथ कुपोषण भी एक गंभीर समस्या है. कुपोषण की वजह से बस्तर में कई बीमार महिलाएं और बच्चे मौत के मुंह में समा गए हैं. ऐसा नहीं है कि जिले के लिए यह समस्या नई है, बस्तर में यह समस्या काफी लंबे समय से है. हर साल बस्तर को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की राशि खर्च करने के दावे विभाग की ओर से किये जाते हैं, लेकिन अब तक जिला कुपोषण मुक्त नहीं हो सका है.
अब घर-घर पहुंच रही टीम, बच्चों का हो रहा इलाज
बस्तर में राज्य शासन की ओर से संचालित सुपोषण अभियान काफी कारगर साबित हो रहा है. इस अभियान से न सिर्फ प्रशासन कुपोषित बच्चों के घर घर तक पहुंच रहा है, बल्कि गंभीर कुपोषित बच्चों को NRC सेंटर में रखकर उनका इलाज भी करा रहा है. इसी का नतीजा है कि पिछले दो सालों के मुकाबले बस्तर में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत काफी तेजी से घटा है, वर्तमान में बस्तर जिले में साढ़े 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. महिला बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 साल की बात करें तो बस्तर जिले में 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे, लेकिन के लगातार प्रयास के बाद अब वर्तमान में जिले में कुपोषण का प्रतिशत 17 प्रतिशत पर आ गया है.