बस्तर :प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की गई है. अब कांगेर वैली नेशनल पार्क पर पहुंचने वाले पर्यटक क्याकिंग के रोमांच भरे सफर का लुफ्त उठा सकेंगे. यह रोमांच भरा अनुभव कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के धूड़मारास से लगे कांगेर नदी में देखने को मिलेगा. धूड़मारास ईको-विकास समिति क्याकिंग का संचालन करेगी.
कैसे पहुंचे क्याकिंग के लिए : क्याकिंग के रोमांचभरे सफर का अनुभव लेने के लिए पर्यटकों को बस्तर से तेलंगाना-आंध्रप्रदेश को जोड़ने वाली नेशनल हाईवे 30 पर आना होगा. दरभा के पेदावाड़ा बैरियर से होते हुए धूड़मारास तक पहुंचना होगा. जिसके बाद गांव से लगे कांगेर नदी पर पर्यटक क्याकिंग का मजा ले सकते हैं. क्याकिंग के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपये का शुल्क रखा गया है. इसके नजदीक ही रुकने के लिए होम स्टे का संचालन भी किया जा रहा है.
कैलाश झील पर राफ्ट राइडिंग :कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि ''बस्तर के इको-पर्यटन में कयाकिंग एक नया आयाम जोड़ेगा. जिसे स्थानीय समूह द्वारा संचालन के लिए पहल किया गया है. जो सराहनीय प्रयास है. इससे पहले भी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के कैलाश झील में केरल की तर्ज पर राफ्ट राइडिंग शुरू किया गया है. जिससे अच्छा रिस्पांस पर्यटकों के द्वारा मिल रहा है.''
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क्या है कांगेर वैली की खासियत :बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क प्रकृति की तमाम खूबसूरती को अपने अंदर समेटे हुए है. इस पार्क में कई छोटे-बड़े जलप्रपात है जिनमें तीरथगढ़ जलप्रपात भी शामिल है. वहीं बस्तर की सबसे बड़ी कुटुमसर गुफा भी कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही है. इसके साथ ही दंडकगुफा, मादरकोंटा गुफा, हरी गुफा और अन्य गुफाएं भी मौजूद हैं. इसके साथ ही विलुप्तप्राय प्रजातियों के जीव-जंतु और देशी-विदेशी पक्षी भी इस नेशनल पार्क में देखने को मिलते हैं. छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना सहवास क्षेत्र भी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ही है.