Jagdalpur News: बस्तर के स्टूडेंट्स को किन समस्याओं का करना पड़ता है सामना, जानिए - Problems of naxal hit Bastar students
Jagdalpur News: जगदलपुर में बच्चियों को स्कूल जाते समय कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहां पढ़ने वाली बच्चियों को जर्जर सड़क होने से दिक्कत तो होती ही है साथ ही कई इलाकों में शराब की दुकान होने से शराबियों से भी इन बच्चियों को अधिक खतरा रहता है.
बस्तर के स्टूडेंट्स
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Published : Aug 17, 2023, 7:23 PM IST
बस्तर के स्टूडेंट्स की समस्या
बस्तर: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां शिक्षा एक चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, जगदलपुर में छात्राओं को स्कूल जाते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहां ज्यादातर खराब सड़क होने के कारण साइकिल या फिर स्कूटी का टायर पंचर हो जाता है. जिससे स्टूडेंट्स को कॉलेज या स्कूल जाने में दिक्कत होती है. इसके अलावा छात्राओं को शराबियों का डर रहता है.
कोंडागांव की छात्रा देवी साहू ने बताया, "कन्या महाविद्यालय के करीब 100 मीटर की दूरी पर सरकारी शराब दुकान है. जहां दिनभर शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है. लोग शराब पीने के बाद बॉटल को सड़कों और कॉलेज परिसर में फोड़ देते हैं. इन सभी वजहों से हमें आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी कभी कांच गड़ने से साइकिल या स्कूटी के टायर पंचर हो जाते हैं." देवी साहू ने यह भी बताया, "उनका कॉलेज सिटी से 5 किलोमीटर दूर जंगल के बीच स्थित है. शराबियों की वजह से छात्राओं को डर भी लगता है." उनकी मांग है कि शराब दुकान को वहां से हटाया जाए. ताकि छात्राएं पूरी तरह से सुरक्षित रहें.
कांकेर की छात्रा गीतिका साहू ने बताया, "हमारी मांग है कि कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा हो, ताकि जिले की दूर दूर से पढ़ाई पूरी करने पहुंचने वाले छात्रों को सुविधा मिले. हमें पढ़ाई करने के लिए रेंट देकर रहना पड़ता है. शहर से दूर होने की वजह से टाइम और पैसा दोनों वेस्ट होता है. कॉलेज में स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है, लेकिन शिक्षकों की कमी है. साथ ही हम खेल गतिविधि भी शुरू करने की मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर के पास भी गए थे. लेकिन हमारी समस्या का समाधान नही सका."
नारायणपुर का छात्र संतदास कवासी ऐसा पहला छात्र है, जो अबूझमाड़ से निकलकर कॉलेज तक पहुंचा है. छात्र संतदास कवासी का कहा, "कॉलेज में हॉस्टल 50 सीटर है. उसे बढ़ाकर 100 सीटर करने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि 50 सीटर होने से जल्द ही सीट भर जाता है और दूर से आकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को हॉस्टल में जगह नहीं मिलती है. जिसके कारण कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपना पढ़ाई छोड़ दिया है. छात्रावास को 100 सीटर करने से कई छात्र हैं, जो अबूझमाड़ से निकलकर पढ़ाई सकते हैं."