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SPECIAL: ऐतिहासिक दलपत सागर पर हुई राम कृपा, सरोवर का बदलेगा स्वरूप - Chhattisgarh news

बस्तर के ऐतिहासिक 600 साल पुराने दलपत सागर को अब राम नाम का ही सहारा है. राम वन गमन पथ में दलपत सागर को शामिल करने के बाद लोगों में इसके जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है.

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ऐतिहासिक दलपत सागर पर हुई राम कृपा

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Published : Nov 18, 2020, 1:11 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर:राज्य का सबसे बड़ा और 600 साल पुराना तालाब दलपत सागर जल्द ही वापस अपने पुराने स्वरूप में दिख सकता है. दलपत सागर को राम वन गमन पथ में शामिल करने के बाद इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू हो चुका है. निगम ने इसकी सफाई के लिए 80 लाख रुपये की एक सफाई मशीन खरीदी है. जिससे इस तालाब में फैली जलकुंभी और गंदगी को साफ किया जा रहा है.

ऐतिहासिक दलपत सागर का होगा कायकल्प

600 साल पुराना है दलपत सागर

बस्तर के महाराजा दलपत देव के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तालाब दलपत सागर प्रदेश के मुख्य सरोवरों में से एक है. किवदंती है कि महाराजा दलपत देव की रानी इस सागर में स्नान के लिए आती थी. राज परिवार के साथ-साथ बस्तरवासियों के लिए भी यह एक पवित्र स्थान रहा है. जहां पूजा पाठ से लेकर राजपरिवार द्वारा विभिन्न आयोजन भी किए जाते रहे हैं. इस तालाब के बीच में भगवान शिव का मंदिर है जो रियासत काल से ही पूजे जा रहे हैं. महाशिवरात्रि पर हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान को जल चढ़ाने पहुंचते हैं.

600 साल पुराना दलपत सागर

800 एकड़ से 400 एकड़ हुआ दलपत सागर

पिछले 20 सालों से राज्य का ये सबसे बड़ा तालाब उपेक्षा का शिकार रहा है. इसी वजह से लगभग 800 एकड़ में फैला सागर 400 एकड़ तक सिमट गया. शासन-प्रशासन की उपेक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सागर के 400 एकड़ पर भूमाफियों ने कब्जा कर लिया है. बाकी बचा तालाब भी बढ़ती जनसंख्या का शिकार हो गया और पूरे शहर की गंदगी इसी तालाब में भरती चली गई. दलपत सागर में पानी कम जलकुंभी ज्यादा दिखने लगे हैं.

जलकुंभी से पटा दलपत सागर

सालों से चल रही दलपत बचाने की मुहिम

दलपत सागर बचाओ मंच लगातार इस ऐतिहासिक तालाब को बचाने की लड़ाई लड़ता रहा है. जिसका फायदा ये हुआ कि एनजीटी ने सागर के आसपास सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी और सागर को उसके मूलरूप में लाने के लिए निगम प्रशासन को आदेशित किया. जिसके बाद निर्माण कार्य तो रुक गए, लेकिन निगम प्रशासन के रखरखाव के अभाव में तालाब में जलकुंभी उगने लगे. अब आलम ये है कि दलपत सागर में पानी कम जलकुंभी ज्यादा दिखने लगे हैं. विभिन्न सामाजिक संगठनों ने दलपत सागर में सफाई अभियान भी चलाया. श्रमदान कर तालाब से जलकुंभी भी निकाली. इसके साथ ही तालाब के चारों ओर पौधरोपण भी किया.

दलपत सागर की बदलेगी तस्वीर

दलपत सागर के जीर्णोद्धार की उम्मीद
दलपत सागर को रामवनगमन पथ में शामिल करने के बाद बस्तरवासियों में भी इसके जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है. लोगों का कहना है कि दलपत सागर ऐतिहासिक धरोहर है. राज्य सरकार को इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए गंभीरता से कदम उठाते हुए इसको मूल रूप में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

रामवनगमन पथ में शामिल हुआ दलपत सागर

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'बूढ़ा तालाब की तर्ज पर होगा विकास'

जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन का कहना है कि राज्य सरकार ने इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है. इसे रामवनगमन पथ में शामिल किया गया है. साथ ही जिला खनिज न्यास मद से दलपत सागर में उगे जलकुंभी की सफाई के लिए लगभग 80 लाख रुपये की लागत से वीड हार्वेस्टर मशीन भी खरीदी गई है. विधायक ने कहा कि बस्तर के सांसद द्वारा शहर विकास मंत्रालय से भी दलपत सागर के जीर्णोद्धार के लिए फंड की मांग की जाएगी. जिससे रायपुर के बूढ़ा तालाब की तर्ज पर पर्यटन स्थल का विकास किया जाएगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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