जगदलपुर:छत्तीसगढ़ के बस्तर में मक्के की खेती आदिवासियों की नई उन्नत खेती की पहचान है. लेकिन मक्के की फसल लेते किसान इन दिनों परेशान हैं. सरकार जहां मक्का खरीदने की घोषणा कर रही है. वहीं किसान मक्के की फसल लगाने से घबरा रहे हैं. इसकी वजह बस्तर में पहुंचा फॉल वर्मी है. इससे पहले इस कीट ने श्रीलंका व मलेशिया में खेतों में तबाही मचा दी है. महज 2 साल की छोटी अवधि में यह विदेशों में मक्के की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर चुका है. पौधे उगने के साथ ही इस कीट का आक्रमण शुरू हो जाता है. यह पौधे के पत्तों को चट करते हुए धीरे-धीरे इन्हें कमजोर कर देता है.
बस्तर में कम लागत और अच्छे दाम मिलने की वजह से मक्के की खेती में काफी तेजी आई थी. बस्तर के किसान पिछले कुछ सालों से एक बड़े रकबे में मक्के की खेती कर रहे हैं. हर साल इसके रकबे में वृद्धि हो रही है, कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक खरीफ सीजन 2020 में 15373 हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी. 2021 में 18230 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें से अब तक केवल 12892 हेक्टेयर में पूर्ति हो पाई है. इस कीट के बस्तर पहुंचने से किसानों में दहशत का माहौल बना हुआ है क्योंकि यह कीट मक्के की फसल को काफी बुरी तरह से प्रभावित करता है. इस वजह से अब किसान मक्के की खेती करने में डर सा महसूस कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक इस कीट से बचने के लिए एमामेंक्टिंग बेंजोएट कोराजन एमाप्लोग वापीन जैसे कीटनाशक के उपयोग की सलाह दे रहे हैं.