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बस्तर में दम तोड़ रही गौठान योजना, नहीं है मवेशी

बस्तर में आधे अधूरे निर्माण की वजह से मवेशियों के अभाव में गौठान (Gothan) सूने पड़े हैं. वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी गौठान योजना (Gothan scheme failed) दम तोड़ रही है.

Gothan scheme failed
गौठान योजना फेल

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Published : Oct 26, 2021, 7:43 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर:प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक 'नरवा गरवा घुरवा बाड़ी' के तहत बस्तर में बनाई गई गौठाने (Gothan) मवेशियों के अभाव में सुनसान पड़े हैं. जिला प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च कर इन गौठानों का निर्माण तो कर दिया है. लेकिन किसान इन गौठानो में अपने मवेशी नहीं ला रहे हैं. जिले के कई गौठानो में ना पानी की व्यवस्था है और ना ही अब तक शेड का निर्माण हुआ है. जिस वजह से यहां मवेशियों के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. जिले के सभी गौठानो में पानी की टंकी तो बना दी गई है. साथ ही गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार ( Vermi compost prepared from cow dung) करने के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए हैं लेकिन यहां मवेशी (Cattle) नहीं पहुंच पाने की वजह से अधिकतर गौठानों का हाल बेहाल हो चुका है.

बस्तर में दम तोड़ रही गौठान योजना

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गौठानों में एक भी मवेशी नहीं

मनरेगा के तहत जिले में 200 से अधिक गौठान बनाए गए हैं और इनमें एक-एक गौठान की लागत लगभग 8 लाख रुपये से 10 लाख रुपए है. आदर्श मॉडल गौठान की कीमत 10 लाख रुपये से भी अधिक है. इन गौठानो की देखरेख के लिए बकायदा समूह के साथ-साथ जनपद के अधिकारी और कर्मचारियों को भी जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन आलम यह है कि जिले के कई गौठानो में अब तक एक बार भी मवेशी नहीं पहुंच पाए हैं.

वजह है इन गौठानो में मवेशियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा ना होना, जिले के कई गौठान में पानी टंकी तो बनाए गए हैं लेकिन यहां पानी की व्यवस्था नहीं है. साथ ही अब तक शेड निर्माण भी नहीं किया गया है. मवेशियों के लिए पैरा की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इस वजह से किसान अपने मवेशियों को इन गौठानों में रखना पसंद नहीं करते.

विपक्ष ने बताया गोठान योजना को फेल

दरअसल, शासन की योजना थी कि, मवेशियों को इन गौठानो में रखकर उनकी देखभाल के साथ गोबर बेचकर समूह की महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ अच्छी आय हो सके, लेकिन जिले के कई गौठानों में सुविधा नहीं होने की वजह से मवेशियों के अभाव में गौठान सुनसान पड़े हैं. अब विपक्ष ने भी इस योजना को पूरी तरह से फेल बताया है.

भाजपा के प्रवक्ता संजय पांडे ने कहा कि, सरकार ने महत्वकांक्षी योजना बताकर लाखों रुपए खर्च कर जिले में सैकड़ों गौठान तो बना लिया है, लेकिन यहां किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. गौठान बनाने के नाम पर अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने केवल जनता के पैसों का दुरुपयोग किया है. 'रोका छेका' योजना से लेकर 'गौठान' और सरकार की अन्य योजना कोई भी धरातल पर नहीं है. केवल जनता से लोक लुभावने वादे कर जनप्रतिनिधि और अधिकारी इन योजनाओं में लाखों रुपए का बंदरबांट कर रहे हैं.

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गौरतलब है कि गौठानों के जरिए पूरे गांव से गोबर कलेक्शन कर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के बाद इसकी पैकेजिंग कर इसे कृषि विभाग को बिक्री करने की योजना भी शुरू की गई है. लेकिन बस्तर के गौठानों में मवेशी नहीं होने की वजह से गोबर बिक्री नहीं हो पा रही है. जिसका कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.

हालांकि बस्तर कलेक्टर का कहना है कि, जिले में कई गौठानों के काम अधूरे हैं और इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश सभी जनपद के अधिकारियों को दिये गए हैं. कलेक्टर ने कहा कि इन गौठानों में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके और पानी की सुविधा से हरी सब्जी, मशरूम उत्पादन जैसे अनेक कार्य कर सके इसके लिए भी ट्रेनिंग दी जा रही है. जहां भी गौठानों में अव्यवस्था की शिकायत मिल रही है वहां व्यवस्था सुधारने के लिए कहा जा रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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