बस्तर : बस्तर जिले में 75 दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक दशहरे पर्व के बाद दूसरा बड़ा गोंचा पर्व भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. बस्तर में श्रीगोंचा पर्व की अलग पहचान है. इस पर्व के दौरान भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र को ग्रामीणों के बनाए हुए विशालकाय रथ में सवार किया जाता है. इसके बाद जनकपुरी ( सिरहासार भवन ) तक परिक्रमा करवाई जाती है. इस दौरान श्रीगोंचा पर्व मनाने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी. 3 विशालकाय रथ परिक्रमा के दौरान स्थानीय ग्रामीण कारीगरों के बनाए हुए बांस की तुपकी से रथों को सलामी दी गई.
गोंचा पर्व का इतिहास :बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव के मुताबिक '' परंपरा 600 वर्षों से अनवरत चली आ रही है. राजा पुरुषोत्तम देव रियासतकाल में जगन्नाथ पुरी दर्शन करने के लिए गए हुए थे. उसी दौरान उन्हें रथपति की उपाधि मिली.भेंट में उन्हें विशालकाय रथ मिला. जिसे लेकर वह वापस बस्तर पहुंचे. जिसके बाद से बस्तर दशहरा पर्व और गोंचा पर्व में विशालकाय रथ की परिक्रमा करवाई जाती है. इसके साथ ही 360 अरण्यक ब्राह्मण और उत्कल ब्राह्मण को महाराजा पुरुषोत्तम देव लेकर आए. उन्हें यहां का निवासी बनाया. बस्तर में निर्मित मंदिरों में सेवा के लिए तैयार किया गया."