जगदलपुर: कोरोना काल के बीच बस्तर में गोंचा का पर्व धूमधाम से मनाया गया. करीब 600 साल से बस्तर में चली आ रही इस परंपरा को बस्तरवासी उसी उत्साह के साथ मनाते दिखाई दिए. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से इस बार तीन विशालकाय रथ की जगह केवल एक ही रथ निकालने की अनुमति दी गई थी. जिसमें तीनों भगवान के विग्रह को एक साथ रखा गया और रथयात्रा निकालकर सिरहसार भवन में बने जनकपुरी में पहुंचाया गया.
जगदलपुर में मनाया गया गोंचा पर्व इतिहास में पहली बार रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को बस्तर के पारंपरिक तुपकी से सलामी नहीं दी गई. वहीं पुलिस की ओर से लगाए गए बेरिकेट्स के बावजूद बड़ी संख्या में स्थानीय लोग रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचे.
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कई रस्मों को किया गया स्थगित
कोरोना महामारी की वजह से इस पर्व में होने वाले कई रस्मों को स्थगित कर दिया गया. प्रशासन ने केवल एक ही रथ के परिक्रमा के लिए आदेश जारी किया था. साथ ही केवल 50 लोगों को ही रथ खींचने की अनुमति दी गई थी. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया.
दूर दराज से देखने आते हैं लोग
आयोजन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि गोंचा बस्तर में दूसरे नंबर पर मनाए जाने वाला महापर्व है. इस पर्व को देखने के लिए बड़ी संख्या में दूर दराज से लोग पहुंचते हैं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से दूसरे राज्यों से श्रद्धालु इसे देखते नहीं पहुंच पाए. पर्व की शुरुआत के साथ ही अगले 7 दिनों तक शहर के सिरहासार भवन में भगवान के दर्शन करने श्रद्धालु आ सकेंगे. इसके लिए प्रशासन ने भक्तों के लिए गाइडलाइन जारी की है. जिसे गोंचा पर्व समिति की ओर से पालन कराया जाएगा.