जगदलपुर: शहर के कुम्हरावंड में मौजूद एग्रीकल्चर कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में क्रेडा विभाग की ओर से सौर ऊर्जा से चलने वाली खाना पकाने की मशीन इंस्टॉल की गई है. इस मशीन की मदद से जहां एक ओर खाना पकने में लगने वाले समय की बचत हो रही है, वहीं दूसरी ओर यहां पढ़ने वाली छात्राओं पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ भी कम होगा. हॉस्टल में मशीन के इंस्टॉल होने के बाद यहां एक साथ 300 लोगों का खाना पकाया जा सकेगा. सोलर पैनल प्रारंभिक तौर पर कृषि महाविद्यालय के कन्या छात्रावास में लगाया गया है, अगर यह प्रयोग सफल रहा तो, इसे दूसरे हॉस्टलों में भी लगाया जाएगा.
सौैर्य ऊर्जा से तैयार हो रहा खाना इन पैनल के जरिए यूनिवर्सिटी के हॉल्टल में जिले की पहली पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलने वाली रसोई यहां तैयार हो गई है. बालिका छात्रावास में इस उपकरण का इंस्टॉलेशन पूरा हो गया है. इससे आने वाली ऊर्जा को नीचे किचन तक पहुंचाया जा रहा है, जहां लगाए गए ब्वॉयलर इस ऊर्जा से गर्म होकर झटपट खाना तैयार करेंगे. किचन शेड में लगाए गए तीन ब्वॉयलर से कम समय में एक साथ चावल, दाल और चाय तैयार की जा सकती है. इसके लिए बकायदा क्रेडा की टीम ने छात्रावास में रसोईया का काम कर रही महिलाओं की समिति को 7 दिनों की ट्रेनिंग भी दी है.
क्या कहती है रसोइया
रसोइया का कहना है कि 'इस सोलर पैनल के माध्यम से न सिर्फ कम समय पर भोजन तैयार हो रहा है, बल्कि उनकी मेहनत और समय भी बच रहा है. सोलर से खाना पकाना काफी आसान साबित हो रहा है.
फीस कम होने से मिलेगी राहत
कन्या छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही छात्राओं का कहना है कि 'सोलर पैनल से बना भोजन काफी स्वादिष्ट है और इसके अलावा काफी कम समय पर भोजन तैयार हो रहा है'. उनका कहना है कि 'उन्हें बढ़ते गैस के दाम और किल्लत की वजह से हर माह मेस फीस 12 सौ रुपए देना पड़ता था, लेकिन अब सोलर से भोजन पकाए जाने से उनकी मेस फीस भी 100 रुपये कम कर दी गई है, जिससे उन्हें फौरी तौर पर थोड़ी राहत जरूर मिली है'.
महंगाई से मिलेगी निजात
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के डीन ने बताया कि 'जिला प्रशासन की ओर से 16 लाख 50 हजार रुपये की लागत से इस सोलर पैनल को लगाया गया है. इसके साथ ही 10 लाख रुपए की लागत से किचन शेड का निर्माण किया गया है. जीरो मेंटेनेंस की वजह से यह काफी कारगर भी साबित हो रहा है और जल्द ही कृषि महाविद्यालय के अलावा दूसरे छात्रावास में भी इसे लगाए जाने की कवायद की जा रही है. उन्होंने कहा कि 'इससे न सिर्फ गैस सिलेंडर की किल्लत और बढ़ते दाम और लकड़ियों के चूल्हे से निजात मिली है, बल्कि छात्राओं के मासिक भोजन शुल्क में भी राहत दी गई है'.
300 लोगों का खाना होता है तैयार
गौरतलब है कि बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अलावा जगदलपुर में ही इस उपकरण को लगाया गया है. जिसके जरिए सौर ऊर्जा से 300 लोगों का खाना तैयार किया जा रहा है. क्रेडा विभाग की ओर से की गई यह पहल काबिल-ए-तारीफ है. इससे समय के साथ-साथ रुपये की बचत जरूर होगी, लेकिन विभाग का यह प्रयोग सफल होने के साथ ही कितना बड़ा रूप ले पाएगा यह देखने वाली बात होगी.