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SPECIAL: शुरू हुआ दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला लोकपर्व बस्तर दशहरा, निभाई गई पाट जात्रा की रस्म - bastar dusshera

पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोक पर्व माने जाने वाले बस्तर दशहरे की शुरुआत हो गई है. 12 से ज्यादा रस्मों से समृद्ध इस परंपरा की सबसे पहली रस्म की अदायगी हरेली अमावस्या को की जाती है, जिसे पाट जात्रा कहते हैं. पहले दिन एक विशेष गांव से लाई गई लकड़ी की पूजा की गई, जिससे बस्तर दशहरे में निकाले जाने वाले रथ के चक्के के पाटे बनाए जाते हैं.

bastar dusshera 2020
बस्तर दशहरा की शुरुआत

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Published : Jul 20, 2020, 7:50 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर:अपनी अनोखी और रोचक परंपराओं के लिए बस्तर का दशहरा दुनियाभर में मशहूर है. 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा दुनिया का सबसे बड़ा लोकपर्व भी कहा जाता है. 12 से ज्यादा रस्में इस उत्सव को अनूठा बना देती हैं और ये सारी रस्में ही बस्तर में मनाए जाने वाले दशहरे को अलग रंग देती हैं. हर साल 75 दिनों तक मनाए जाने वाले बस्तर दशहरा की शुरुआत पाट जात्रा रस्म से शुरू होती है. सोमवार 20 जुलाई को जगदलपुर में पाट जात्रा की रस्म पूरे विधि-विधान के साथ पूरी की गई. सावन-अमावस्या से ही इसकी शुरुआत की जाती है.

बस्तर दशहरा की शुरुआत

मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने बिलोरी गांव से लाई गई सर्गी की लकड़ी, जिसे टूरलू खोटला लकड़ी भी कहा जाता है, इसकी पूजा-अर्चना की गई. जिसके बाद मोंगरी मछली को दंतेश्वरी माई को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया. परंपरा के मुताबिक गांव के ग्रामीण और पूजा करने वाले मांझी मिलकर बिलोरी गांव से सर्गी की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचते हैं. इस लकड़ी की मदद से दशहरा रथ में चक्के लगाने के लिए बड़े पाटे बनाए जाते हैं. इस मौके पर रथ निर्माण करने वाले कारीगर, पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी चालकी, बस्तर के सांसद और बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज सहित स्थानीय लोग शामिल रहे.

रथ बनाने के लिए लकड़ी की पूजा की जाती है

टूरलू खोटला से बनाए जाते हैं हथौड़े और चक्के के पाटे

75 दिनों तक चलने वाले दशहरा पर्व की शुरुआत पाट जात्रा रस्म के साथ शुरू हो चुकी है. विशालकाय रथ निर्माण के लिए जिस लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं उसे टूरलू खोटला कहा जाता है, जिसे विशेष गांव बिलोरी से जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में लाया जाता है. वहीं विधि-विधान के साथ इसकी पूजा की जाती है. इस बार यह लकड़ी बिलोरी गांव के बेदारगुड़ा पारा से लाया गया है. नियम के मुताबिक बेदारगुड़ा में 45 घर हैं और हर घर से एक व्यक्ति का आना जरूरी होता है.

टूरलू खोटला से बनाए जाते हैं हथौड़े और चक्के के पाटे

परंपरा के हिसाब से टूरलू खोटला के रूप में साल के वृक्ष की साढ़े 3 हाथ लंबी और लगभग 3 फुट की गोलाई की लकड़ी मंदिर प्रांगण में लाई जाती है. इस लकड़ी की पूजा अर्चना करने के बाद शहर के सिरहासार भवन में रथ निर्माण के लिए हथौड़े और चक्कों के एक्सेल का निर्माण किया जाता है.

पाट जात्रा की रस्म

कोरोना संकट के बीच रथ परिक्रमा को लेकर संशय

इस रस्म के बाद अब बस्तर दशहरे में चलने वाले रथ निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी लाने का काम भी शुरू हो जाएगा. बस्तर दशहरे का रथ दो मंजिल का बनाया जाता है, जो पूरी तरह से लकड़ी से निर्मित होता है. इस पर्व की सबसे मुख्य कड़ी माने जाने वाले मांझियों का कहना है कि पाट जात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस साल भी पाटजात्रा का रस्म अच्छे से सम्पन्न किया गया. हालांकि इस बार देश में फैली कोरोना महामारी को देखते हुए रथ परिक्रमा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.

पाट जात्रा रस्म में बजाए जाते हैं पारंपरिक वाद्य यंत्र

पढ़ें- SPECIAL: ऐसी कौन सी रस्में होती हैं कि बस्तर दशहरा 75 दिन मनाया जाता है, देखिए

बस्तर दशहरा पर्व के अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज ने कहा कि पर्व में रथ परिक्रमा को लेकर जल्द ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों, मांझी, चालकी और शासन-प्रशासन के साथ बैठक की जाएगी. उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. हालांकि कोशिश की जा रही है कि हर साल की तरह इस साल भी बस्तर दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाए. सांसद दीपक बैज का कहना है कि इस साल कोरोना संकट की वजह से छत्तीसगढ़ सरकार के पास बजट की कमी तो है, लेकिन कोशिश की जाएगी की इस पर्व के दौरान फंड में किसी तरह की कोई कमी न हो. वहीं इस ऐतिहासिक पर्व को पूरे विधि-विधान के साथ धूमधाम से मनाया जाए इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा की जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

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