जगदलपुर: बस्तर के किसान इस बार मक्के की फसल समर्थन मूल्य पर बेचने में कोई रूची नहीं दिखा रहे हैं. इसके पिछे सरकार की नितियों को बताया जा रहा है. सरकारी नियम-कानून के कारण बस्तर के 27 हजार किसानों में से महज 85 किसानों ने ही अपना मक्का खरीदी केंद्रों में बेचा है, जबकि अन्य किसानों ने इसे खुदरा व्यापारियों और मंडियों में कम दामों पर बेच दिया है.
कम हो रही मक्के की खेती में रुची
किसानों का कहना है कि सरकार ने मक्का का समर्थन मूल्य तो बढ़ा दिया है, लेकिन इतने नियम-कायदे बनाए हैं कि किसानों को मजबूरन मक्के की फसल बिचौलियों और मंडियों में बेचना पड़ रहा है. अधिकारी भी किसानों का समर्थन कर रहे हैं. बस्तर में किसान धान के बाद सबसे ज्यादा मक्के की ही खेती करते हैं. यहां का वातावरण मक्का उत्पादन के लिए काफी अनुकूल माना जाता है. हालांकि फसल बेचने में परेशानी और कम आमदनी के कारण धीरे-धीरे बस्तर के किसान मक्के की फसल में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
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सरकारी नियम से किसान परेशान
किसानों का कहना है कि मक्का बेचने के लिए सरकार ने इतने नियम-कानून बनाए हैं, कि उन्हें इन सब से होकर गुजरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मौसम में थोड़ी सी बदलाव भी मक्के की फसल को बर्बाद कर देती है. दरअसल, मक्के की फसल एक निर्धारित तापमान में ही होती है. तापमान में थोड़ी सी उतार-चढ़ाव पूरी फसल को बर्बाद कर देती है. जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, ऊपर से सरकार ने नियम ने किसानों को और ज्यादा परेशान कर रखा है. फसल हो भी जाती है तो सरकारी मंडी में बेचने के लिए इतने नियम हैं कि किसान उसे बेच नहीं पाते हैं. लिहाजा वे औने-पौने दाम पर बिचौलियों को बेच देते हैं.