जगदलपुर: कोरोना महामारी के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद आई आर्थिक मंदी ने आम आदमी के साथ-साथ सरकारी विभागों और निकायों की भी कमर तोड़कर रख दी है. आम आदमी और निजी संस्थानों को तो छोड़िए सरकारी विभाग और निकायों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में पसीना छूट रहा है.
अब जगदलपुर नगर निगम का ही उदहरण ले लीजिए, पिछले तीन महीने से अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह देने में निगम को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं. इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी के कारण संपत्ति कर, नल कर और शहर के दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स वसूली पर लोगों को दी जाने वाली रियायत को बताया जा रहा है, जिसकी वजह से नगर निगम की तिजोरी खाली हो गई है.
नए टेंडर नहीं हुए जारी
जगदलपुर नगर निगम के अंतर्गत 48 वार्ड आते हैं और नगरीय निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक नगर निगम ने नए टेंडर जारी नहीं किए हैं, बल्की पुराने टेंडरों पर ही काम चल रहा है. इसकी मुख्य वजह निगम की जेब में रुपयों की कमी को बताया जा रहा है. बता दें कि जगदलपुर नगर निगम की आय का एक बड़ा हिस्सा शहरवासियों से वसूले जाने वाले टैक्स से आता है, लेकिन कोरोना महामारी के वजह से पिछले 3 महीनों से कर वसूली में लोगों को काफी रियायत दी गईं और अब आलम यह है कि निगम को 3 हजार से अधिक बकायदारों से कर वसूली होनी बाकी है, जिसकी कुल रकम करीब एक करोड़ रुपये है.
टैक्स वसूली की तैयारी शुरू
महापौर का कहना है कि निश्चित तौर पर कोरोना महामारी की वजह से जगदलपुर नगर निगम में भी आर्थिक संकट गहरा हो गया है. निगम संपत्ति कर ,नल कर और शहर की दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स पर ही निर्भर है. लेकिन कोरोना महामारी के वजह से नगर निगम को काफी राजस्व का नुकसान हुआ है. हालांकि महापौर का कहना है कि बकायदारों को 30 अप्रैल तक संपत्ति कर चुकाने की मोहलत दी गई थी, जिसे एक महीना बढ़ाकर 31 मई कर दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद शहर के ऐसे 3 हजार से भी अधिक बकायेदार हैं, जिन्होंने टैक्स नहीं चुकाया है, लिहाजा अब नगर निगम इन पर सख्ती बरतेगी और इनकी ओर से चुकाने वाले टैक्स में 10% ब्याज जोड़कर कर की वसूली करेगी और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
अधिकारी करेंगे टैक्स वसूली