बलौदाबाजार: वैसे कहने को तो आज विश्व आदिवासी दिवस है, जिसको लेकर देशभर में जश्न मनाया जा रहा है, आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं की बौछारें हो रही हैं. वहीं दूसरी ओर बलौदाबाजार के भटगांव में रहने वाले पुनिराम हाथों में बैसाखी थामे सरकार की योजनाओं की बाट जोह रहा है.
बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी
भटगांव के पुनिराम को कुदरत ने तो पैर दिया था, लेकिन बीमारी ने उसके पैर छीन लिए. तब से 47 वर्षीय पुनिराम बैसाखी के सहारे ही एक पैर पर चलते हैं. उसका अपना कोई परिवार नहीं है, भाई हैं तो वो अपने परिवार के साथ अलग रह रहे हैं, जिससे पिछले 10 साल से पुनिराम अपने किस्मत की मार झेल रहा है.
बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी सरकार से नहीं मिली सुविधाएं
पुनिराम बताते हैं उनके पैर में 'हाथी पांव' बीमारी हो गयी थी, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल गया जो शरीर को गलाने लगा. सही समय पर इलाज नहीं होने से पैर में कैंसर हो गया और पैर को काटना पड़ा. गांववालों ने पुनिराम की तंगहाली को देख कर उसकी मदद की, उसे बैसाखी दी, जिससे वो चल सके. लेकिन, सरकार ने इनके हाथ में कटोरा थमा दिया.
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महीनों से नहीं मिला पेंशन
पुनिराम बताते हैं सरकार से मिलने वाला पेंशन ही एकमात्र सहारा है. लेकिन, सरकारी पेंशन भी पिछले कई महीने से नहीं मिला. अब पुनिराम की भूखे मरने की नौबत आ गई है.