बस्तर: पूरे देश में देवी की पूजा का पर्व चैत्र नवरात्रि मनाया जा रहा है. 2 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक चलेगा. इस दौरान सभी देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. बस्तर के बास्ताबुंदिन देवी की भी पूजा चैत्र नवरात्र में की जा रही है. इस धाम की मान्यताएं कुछ अलग है. यहां श्रद्धालु मनोकामना पूरे होने पर मां को नारियल, फल, मिठाई प्रसाद के रूप में नहीं चढ़ाते बल्कि देवी मां को काला चश्मा चढ़ाते हैं. यह मान्यता सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है.
जानिए भक्त देवी को क्यों चढ़ाते हैं चश्मा: दरअसल बस्तर जिले के कांगेर वैली नेशनल पार्क के कोटमसर गांव में हर 3 साल के अंतराल पर देवी बास्ताबुंदिन की जात्रा होती है और देवी को चश्मे चढ़ाकर जंगल के हरे भरे रहने की भक्त कामना करते हैं. दरअसल बस्तर के आदिवासियों के लिए बस्तर के घने जंगल, जीवनव्यापन के लिए सबसे उत्तम और कुदरती देन हैं. आदिवासियों का मानना है कि भगवान ने उन्हें जंगल वरदान के रूप में भेंट किया है.
मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ: हाथ में नारियल लिए लेटती हुई मां दंतेश्वरी के दरबार पहुंची श्रद्धालु
जंगल को नजर न लगे इसलिए देवी मां को चढ़ाते हैं चश्मा: आदिवासी अपने जंगल को जान से भी ज्यादा चाहते हैं. वे ना केवल जगंल का संरक्षण संवर्धन मन से करते हैं, बल्कि अपनी आराध्य देवी से मन्नत मांगते हैं कि उनके जंगल को किसी की बुरी नजर ना लगे. इतना ही नहीं किसी की बुरी नजर ना लगे इसके लिए बकायदा अपने आराध्य देवी को नजर का चश्मा भी चढ़ाते हैं. सदियों से चली आ रही देवी के प्रति इस मन्नत को युवा पीढ़ी ने भी अपना लिया है. वे भी देवी को चश्मा चढ़ाने लगे हैं.