बस्तर: छत्तीसगढ़ सरकार भगवान राम के वन गमन मार्ग को पर्यटन के रूप में विकसित कर रही है. लगातार इससे संबंधित जगहों को चिन्हित करके विकसित करने लिए योजना बनाया जा रहा है. लंका कूच से पहले जिस तरह रामेश्वरम (तमिलनाडु) में भगवान राम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी, उसी तरह उत्तर से दक्षिण भारत में प्रवेश से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के रामपाल नाम की जगह में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी. रामपाल बस्तर जिले में स्थित है, जहां प्रभु राम का स्थापित शिवलिंग आज भी विद्यमान है.
रामपाल में स्थापित शिवलिंग भगवान राम की ओर से स्थापित शिवलिंग वाले स्थान रामपाल की दूरी बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 10 किलोमीटर है. इस शिवलिंग के रामायणकालीन होने की पुष्टि विद्वानों ने और शोध संस्थानों ने की है. साथ ही सुकमा जिले का रामाराम छत्तीसगढ़ की सीमा के निकट स्थित है, जहां से आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की भी सीमाएं पास ही हैं.
रामपाल और राजाराम को संवारेगी राज्य सरकार रामपाल के बाद रामाराम में की थी आराधना
दक्षिण प्रवेश से पूर्व प्रभु राम ने रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भू देवी की आराधना की थी. छत्तीसगढ़ शासन ने अब दोनों स्थानों को भी अपने नए पर्यटन सर्किट में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है.
रामपाल पहुंचे थे भगवान राम वनवास के दौरान श्रीराम ने यहां काफी समय व्यतीत किया था
रामाराम के नए पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास के साथ ही सुकमा जिले को नई पहचान भी मिलेगी. नक्सल घटनाओं की वजह से बस्तर संभाग के इन जिलों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान अबतक उभर कर सामने नहीं आ पाई थी. पर्यटन विकास के जरिए छत्तीसगढ़ शासन का उद्देश्य इन जिलों में रोजगार की नई संभावनाएं निर्मित करना भी है. रामायणकालीन छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले को दंडकारण्य के रूप में जाना जाता था. वनवास के दौरान श्रीराम ने यहां काफी समय व्यतीत किया था.
रामपाल में स्थापित शिवलिंग 75 स्थानों को किया गया है चिन्हित
छत्तीसगढ़ का नया पर्यटन सर्किट बेहतर सड़क मार्ग समेत तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ उन स्थानों को आपस में जोड़ेगा. जहां से प्रभु राम वनवास के दौरान गुजरे थे या फिर प्रवास किया था. प्रदेश में श्रीराम के वन गमन पथ पर पड़ने वाले 75 स्थानों को चिन्हित किया गया है. इनमें से पहले चरण में उत्तर में स्थित कोरिया से लेकर दक्षिण में स्थित सुकमा के रामाराम तक 9 स्थानों का चयन किया गया है. इन स्थानों के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार 137 करोड़ 45 लाख रुपए खर्च करने जा रही है. दिसंबर महीने में इस परियोजना की शुरूआत रायपुर जिले के चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण और विस्तार कार्य के शिलान्यास के साथ की जा चुकी है.