बस्तर:बस्तर संभाग नक्सल समस्या के साथ-साथ इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है. सबसे बड़ी चुनौती यहां गांववालों को इस महामारी से दूर रखने के साथ-साथ वैक्सीनेशन (covid vaccination in bastar) की है. बस्तर संभाग में कोरोना वैक्सीनेशन का बहुत ही बुरा हाल है. विकास के पैमाने पर पिछड़ा कहा जाने वाला ये क्षेत्र टीकाकरण में भी पीछे है. इसके पीछे कई वजहें हैं. साक्षरता की कमी, जागरूकता का अभाव, अफवाहें और अंधविश्वास के साथ-साथ नक्सली. जी हां 4 जून को नारायणपुर में सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि नक्सल संगठन वैक्सीनेशन का विरोध कर रहा है.
कोविड वैक्सीनेशन में पिछड़ा बस्तर बस्तर संभाग के 7 जिलों में से चार जिले घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं. इसमें सुकमा, बीजापुर,नारायणपुर और दंतेवाड़ा शामिल है. यहां अंदरूनी इलाकों में ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में जीने को मजबूर हैं. शहरी क्षेत्रों में जागरूकता की वजह से लोग वैक्सीनेशन सेंटर्स पहुंच भी रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हालत खराब है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधनों की कमी और कोरोना महामारी से निपटने के लिए त्वरित इलाज की व्यवस्था नहीं है, ऐसे में इस महामारी की चपेट में बड़ी संख्या में ग्रामीण आ सकते हैं. बड़े अधिकारी कई बार कह चुके हैं कि नक्सल संगठन भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. जो गांववालों के लिए भी खतरनाक हो सकता है. नक्सली संगठन अपने स्थानीय नक्सलियों के साथ साथ ग्रामीणों को भी इस वैक्सीन का विरोध करने को कह रहे हैं और इसके लिए फरमान भी जारी कर दिया है.
वैक्सीन और जागरूकता की कमी
संभाग के सभी सातों जिलों के टीकाकरण अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक साक्षरता दर की तुलना में संभाग में काफी कम टीकाकरण का कार्य हुआ है. इसके पीछे वैक्सीन और जागरूकता की कमी दोनों कारण हो सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के लिए नेटवर्क की समस्या और स्मार्ट फोन की कमी भी बड़ी वजह हो सकती है.
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एक नजर आंकड़ों पर डाल लेते हैं-
बस्तर जिले में साक्षरता की दर 70% है. यहां 45 प्लस वाले 73% लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. जबकि 18 प्लस के हितग्राहियों को केवल 10% ही टीका लगा है. वहीं 45 प्लस के हितग्राहियों की संख्या 1 लाख 85 हजार 550 है, जबकि 18 प्लस वालों में अब तक 36 हजार 240 लोगों ने ही टीका लगवाया है.
नारायणपुर जिले का हाल
वहीं नारायणपुर जिले की बात की जाए तो अब तक 45 प्लस के 14 हजार से ज्यादा हितग्राहियों को वैक्सीन लगी है. 18 प्लस के 3 हजरा 4 सौ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हुआ है. नारायणपुर जिले में कुल मिलाकर केवल 20% ही टीकाकरण का काम हुआ है. 2011 के अनुसार यहां की साक्षरता दर 49% है. इस साक्षरता दर के अनुरूप काफी कम लोगों को वैक्सीन का लाभ मिला है. इसकी बड़ी वजह नक्सल प्रभावित क्षेत्र होना भी है. हाल ही में नारायणपुर में सरेंडर किए कुछ नक्सलियों ने पुलिस के सामने यह खुलासा किया था कि नक्सलियों ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगाने का फरमान जारी किया है. इस डर से भी ग्रामीण वैक्सीन नहीं लगा रहे हैं. यही वजह है कि नारायणपुर में भी काफी कम लोगों को कोरोना वैक्सीन का लाभ मिला है.
दंतेवाड़ा का हाल
दंतेवाड़ा जिले की बात की जाए तो यहां भी वैक्सीनेशन को लेकर स्थिति अच्छी नहीं है. अब तक 45 प्लस के 52 हजार 976 से ज्यादा लोगों को टीका लगा है. जबकि 18 प्लस के केवल 11 हजार 3 सौ से ज्यादा लोग टीका लगवाए हैं. यहां भी केवल 20% ही वैक्सीन का काम पूरा हुआ है. दंतेवाड़ा में साक्षरता दर की बात की जाए तो यहां 43 प्रतिशत साक्षरता दर है और उसके अनुरूप दंतेवाड़ा जिला भी टीकाकरण में काफी पीछे है. यहां के गांवों में भी वैक्सीनेशन को लेकर बुरा हाल है.
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कांकेर में फिर भी ठीक हुआ वैक्सीनेशन
कांकेर जिले में 45 प्लस के 2 लाख 12 हजार 759 लोगों को टीका लग चुका है. जबकि 18 प्लस के 16 हजार 84 लोग टीका का लाभ ले चुके हैं. टीकाकरण के प्रतिशत की बात की जाए तो यहां 18 प्लस के 3 प्रतिशत, 45 प्लस के 95% और 45 प्लस के 15 फीसदी लोगों को टीके की दूसरी डोज लग चुकी है. कांकेर की साक्षरता दर 70% है. इसकी तुलना में कांकेर में वैक्सीन को लेकर लोग जागरुक दिखाई दे रहे हैं. कांकेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी टीकाकरण की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है.
बीजापुर जिले का हाल
बीजापुर जिले में भी वैक्सीनेशन की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है. यहां 45 प्लस के 72 हजार 630 लोगों को टीका लग चुका है. वहीं 18 प्लस के 8429 लोगों को टीका लगाया गया है. वहीं प्रतिशत की बात की जाए तो 45 प्लस के लिए 90% का टीकाकरण का काम हो चुका है जबकि 18 प्लस अब तक एक भी प्रतिशत नहीं हुआ है. इसके पीछे वैक्सिन की कमी के साथ-साथ नक्सलियों का फरमान काफी ज्यादा हावी है. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से बीजापुर जिले में नक्सली ग्रामीणों की बैठक लेकर कोरोना जांच के साथ-साथ कोरोना वैक्सीन का भी पूरी तरह से विरोध कर रहे हैं. सिलगेर में विरोध कर ग्रामीणों में 100 से अधिक कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. कई लोग जांच कराने और वैक्सीनेशन से बच रहे हैं.
सुकमा जिले का हाल
सुकमा में भी टीकाकरण की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यहां 45 प्लस के हितग्राहियों में 95931 लोग टीका लगा चुके हैं. 18 प्लस के केवल 11983 लोग ही टीका लगा पाए हैं. वहीं अब तक केवल 40 प्रतिशत ही टीकाकरण का काम हुआ है. सुकमा जिले में साक्षरता दर 58% है, जिसके अनुरूप टीकाकरण को लेकर बेहद ही कम लोग जागरूक हैं. सुकमा जिले में भी ग्रामीण टीका लगवाने से हिचक रहे हैं. यहां भी ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वहीं संसाधनों के अभाव में और स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंच पाने की वजह से जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में टीकाकरण का कार्य कहीं ज्यादा शुरू ही नहीं हो सका है.
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कोंडागांव जिले का हाल
कोंडागांव जिले में भी ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण का कार्य लगातार जारी है और यहां भी लोग टीका लगवा रहे हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कम लोगों ने टीका लगवाया है. जानकारी के मुताबिक यहां 35% टीकाकरण का कार्य हो चुका है, जबकि यहां की साक्षरता दर 71% है जिसकी तुलना में काफी कम लोग वैक्सीन का लाभ लिए हैं. हालांकि यहां भी वैक्सीन का अभाव है जिस वजह से कुछ लोग जागरूक होकर टीका लगाना तो चाहते हैं लेकिन वैक्सीन की शॉर्टेज के वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में आज भी जागरूकता की कमी है और केवल 12% ही ग्रामीण टीका का लाभ लिए हैं.
ग्रामीण इलाकों में कम वैक्सीनेशन सेंटर!
बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा बुरा हाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का है. बड़ी बात ये है कि प्रशासन ने शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में कम टीकाकरण केंद्र बनाए हैं. इधर बस्तर के आईजी का कहना है कि बस्तर पुलिस के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि ग्रामीणों को वैक्सिन के लिए जागरूक किया जाए. आईजी का कहना है कि कई नक्सलियों के साथ साथ ग्रामीणों की भी मौत कोरोना से हो चुकी है. बस्तर पुलिस के सामने ऐसे नक्सली भी आए जो कोरोना संक्रमित हो गए थे और सरेंडर करने के बाद पुलिस के द्वारा उनका इलाज भी किया गया.
वैक्सीन लगवाने की अपील
आईजी का कहना है कि नक्सलियों के बाहरी व बड़े लीडर कोरोना वैक्सीन लगाने के साथ ही संक्रमित होने पर बड़े शहरों में अपना इलाज भी करा रहे हैं. वहीं स्थानीय नक्सलियों को बिना इलाज के छोड़ रहे हैं. भ्रम की वजह से स्थानीय लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. आईजी का कहना है कि बस्तर पुलिस का प्रयास लगातार जारी रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण वैक्सीनेशन का लाभ ले और कोरोना महामारी से बचें. उन्होंने बताया कि पुलिस के द्वारा स्थानीय प्रशासन के साथ जल्द ही वैक्सीनेशन को लेकर अंदरूनी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. जिससे नक्सलियों द्वारा फैलाए गए भ्रम से भय मुक्त होकर और जागरूक होकर ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण वैक्सीन का लाभ ले सकें.आईजी ने लोगों से वैक्सीनेशन कराने की अपील की है.