जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तालाब और बस्तर के ऐतिहासिक सरोवर दलपत सागर की सफाई के लिए मशीन खरीदी गई है. इस मशीन को जिला प्रशासन ने लगभग 90 लाख रुपये की लागत से खरीदा है. यह एक्वेटिक वीड हार्वेस्टर मशीन शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई है. निगम प्रशासन ने DMF फंड से इसे खरीदा था. इस मशीन को जगदलपुर लाए 2 सप्ताह बीत चुके हैं. लेकिन अब तक इस मशीन से कार्य शुरू नहीं हो सका है. ऐसे में निगम प्रशासन का यह फैसला और कार्य विवादों में घिर गया है.
दलपत सागर में एक्वेटिक वीड हार्वेस्टर मशीन को डेमो के लिए उतारा गया था, लेकिन इस दौरान उसके कई पार्ट्स डैमेज हो गए. इससे मशीन को दलपत सागर के पास सफेद हाथी की तरह खड़ा कर दिया गया है. वहीं निगम ने यह दावा किया था कि इस मशीन को संचालित करने के लिए दो निगम कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई थी. लेकिन इन कर्मचारियों को किसी तरह की टेक्निकल जानकारी नहीं दी गई. ऐसे में मशीन दलपत सागर के पास खड़ी कर दी गई है.
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150 से 170 एकड़ में जलकुंभी का कब्जा
350 एकड़ में फैले दलपत सागर में लगभग 150 से 170 एकड़ में जलकुंभी का कब्जा है. इस जलकुंभी की वजह से दलपत सागर सिमटने के कगार पर पहुंच गया है. इस दलपत सागर के उत्थान के लिए शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवी ने सफाई अभियान भी चलाया, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में फैले जलकुंभी को साफ करने में नाकाम साबित रहे.
डीएमएफ फंड से मंगाई गई थी 90 लाख रुपये की मशीन
दलपत सागर को साफ करने के लिए मशीन की जरूरत पड़ी. निगम प्रशासन ने हाल ही में डीएमएफ फंड से लगभग 90 लाख रुपये की लागत से एक्टिवेट वीड हार्वेस्टर मशीन हैदराबाद से खरीदी है. इस मशीन को जगदलपुर लाए 15 दिन से अधिक बीत चुके हैं. इसे संचालित करने के लिए निगम के दो कर्मचारियों को भी हैदराबाद भेजा गया, जो वापस आ चुके हैं. लेकिन अब डेमो के लिए दलपत सागर में उतारे जाने के दौरान इसके कई पार्ट्स डैमेज हो गए.