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homeopathy day : छत्तीसगढ़ में एक भी होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल नहीं, सरकार कब देगी ध्यान !

world homeopathy day इन दिनों होम्योपैथी की तरफ लोगों का रुझान ज्यादा बढ़ा है. कम खर्च में दवा और बिना किसी साइड इफेक्ट के कारण लोग होम्योपैथी की दवा लेना पसंद कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि इससे मिलने वाले लाभ को देखते हुए जितना इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए था वैसा नहीं हो रहा है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. सरकार का ध्यान एलोपैथी और आयुर्वेद पर तो है लेकिन होम्योपैथी पर नहीं है.

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Published : Apr 10, 2023, 12:59 PM IST

Updated : Apr 10, 2024, 12:32 PM IST

Importance of world homeopathy day
विश्व होम्योपैथी दिवस

होम्योपैथी में इलाज सस्ता

सरगुजा: विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर होम्योपैथी की छत्तीसगढ़ में स्थिति के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि सरकार का होम्योपैथी पर कोई ध्यान नहीं है. सरकार सिर्फ एलोपैथी और आयुर्वेद पर ध्यान दे रही है. जबकि होम्योपैथी इलाज की बहुत ही सस्ती और कारगर पद्धति है. भारत में एलोपैथी के बाद सबसे अधिक होम्योपैथी के ही क्लीनिक दिखते हैं.इसके बावजूद इलाज की सस्ती और कारगर पद्धति को हतोत्साहित किया जा रहा है.

होम्योपैथी काफी असरदार:छत्तीसगढ़ के होम्योपैथी परिषद के सदस्य डॉ अमीन फिरदौसी बताते है कि होम्योपैथी में बहुत ही असरकारक और अचूक दवाइयां है. ये पूरी तरह प्राकृतिक है. जीरो साइड इफेक्ट पर काम करती है. ये लक्षण आधारित होते है. लक्षण को देखकर ही दवाइयां दी जाती है. होम्योपैथी की 200 से ज्यादा दवाइयां हैं जो बेहद असर कारक हैं. कुछ ऐसी दवाइयां भी है जो घर में रहनी ही चाहिए, जैसे बच्चों को सर्दी जुकाम हो रहा है, कहीं चोट लग गई है, महिलाओं की समस्या है तो उन्हें दे सकते हैं."

फिरदौसी का कहना है कि "10 रुपये में जो चीज होमियोपैथी में ठीक होती है, उसी को एलोपैथी हजार रुपए में ठीक करती है. ये बात लोगों को भी समझ आ गई है. इसलिए लोगों का रुझान होमियोपैथी में बढ़ रहा है. एलोपैथी की फार्मा लॉबी हावी रहती है. वो चाहती है लोग बीमार पड़ें और उनकी दवाइयां बिके. इसके लिये वो सरकार तक को प्रेशर देते हैं."


कुछ बीमारियों की सस्ती और कारगर दवाई: डॉक्टर बताते है कि " एकोनाइट, अर्निका, कैल्केरिया कार्ब, नाईट्रम मयूर, लाइको फोडियम, सीबिया छोटी छोटी बीमारियों में असरदार होम्योपैथी दवाई है जो कम खर्च में बेहतर काम करती हैं. होम्योपैथिक दवाइयों से एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बच सकते हैं. ओवरडोज ऑफ एंटीबायोटिक की वजह से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस डेवलप हो रहा है. जिससे एलोपैथी जगत भी परेशान है. "

होम्योपैथी का एक भी गवर्नमेंट कॉलेज नहीं:होम्योपैथी के प्रदेश में सिर्फ 2 मेडिकल कॉलेज हैं, दोनों ही प्राइवेट हैं. साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना. लेकिन तब से शासन ने शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा कॉलेज खोलने की कोई कोशिश नहीं की. एमबीबीएस के लिए आज लगभग 11 शासकीय मेडिकल कॉलेज हो गए हैं, लेकिन होम्योपैथी के लिए कुछ भी नहीं है. इसलिए होम्योपैथी को लेकर हम पिछड़ा रहे हैं.

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सरकार कर रही होम्योपैथी की उपेक्षा: डॉक्टर का कहना है कि "एलोपैथी की तुलना में होम्योपैथी के आंकड़े देखेंगे तो 99 एलोपैथी के हैं, तो 1 पद ही होम्योपैथी का हैं. आयुर्वेद से तुलना करेंगे तो 80 पद आयुर्वेद के हैं तो महज 20 पद होम्योपैथी के हैं. राज्य निर्माण से पहले सिर्फ 50 पद थे. साल 2000 में और 2023 में सिर्फ एक पद बढ़कर 51 पद हुए हैं. वहीं आयुर्वेद के जो 50 पद थे वो बढ़कर 900 पद हो चुके हैं. तो कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ शासन इसमे भी विफल रहा है."

एलोपैथी के बाद दूसरे नंबर पर व्यवसाय: एलोपैथी के बाद नम्बर 2 पर होम्योपैथी है. इस पर लोगों का विश्वास है. हजारों करोड़ का टर्नओवर है. भारत में पिछले 20 साल में 300 गुना बढ़ी है.लोगों को इससे फायदा पहुंच रहा है. इसलिए सरकार को भी इसपर ध्यान देने की जरूरत है. गवर्मेंट सेक्टर में ऐलोपैशी और आयुर्वेद के साथ होम्योपैथी को जगह देने की जरूरत है. तभी ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा.

Last Updated : Apr 10, 2024, 12:32 PM IST

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